ऋतु और सुनैना एक ही स्कूल में एक कक्षा में पढ़ती थीं. वे दोनों साथसाथ खेलती और एक ही बस में स्कूल जाती थीं.
एक दिन उन की विज्ञान की टीचर ने उन्हें एक प्रयोग कर के दिखाया. उन्होंने एक बरतन में पानी गरम किया और एक बोतल के मुंह पर गुब्बारा बांध कर बोतल को गरम पानी में रखा तो गुब्बारा फूल गया.
टीचर ने बताया, "गरम हवा हलकी होती है, इसलिए ऊपर की ओर उठती है. इसी तकनीक से हौट एयर बैलून में टोकरी बांध कर लोग हवा में सैर करने का आनंद लेते हैं."
शाम को जब ऋतु व सुनैना खेलने आई तो उन की कौलोनी में रहने वाली बैकी और उन के कंपाउंड में रहने वाली तारा भी आई. सुनैना व ऋतु ने अपनी व सहेलियों को भी इस प्रयोग के बारे में बताया.
“क्यों न हम भी हौट एयर बैलून फुला कर हवा में सैर करें," तारा बोली.
“पर छोटेछोटे गुब्बारे हमारा वजन ले कर थोड़े उड़ सकते हैं? ऋतु ने कहा.
“हम खुद न सही पर अपनी गुड़िया को तो हवाई सैर करा ही सकते हैं, ” बैकी जो अपनी गुड़िया को बहुत प्यार करती थी, बोली.
“हां, यह हो सकता है,” अब सुनैना भी जोश में आ गई थी.
“तो ठीक है, तुम सब मेरे घर चलो, मेरे मम्मी पापा अभी औफिस से नहीं आए हैं, घर में केवल दादी हैं. हम आराम से पानी गरम कर लेंगे,” ऋतु बोली.
“ मेरे घर में गुब्बारे का पैकेट है, मैं उसे ले कर आती हूं,” बैकी ने कहा.
"मैं गुब्बारा बांधने के लिए एक बोतल लाऊंगी,” सुनैना बोली.
“मेरे घर में एक छोटी सी टोकरी है, मैं उसे ले आऊंगी,” तारा ने कहा.
अब तो सभी खेलना भूल कर अपने अपने घर सामान लेने दौड़ पड़े.
कुछ ही देर बाद वे चारों सामान ले कर ऋतु के घर पहुंच गए.
वे अपनी गुड़ियों को लाना भी नहीं भूली थीं.
उन्होंने एक बरतन में पानी गरम किया, उस में बोतल रख कर उस के मुंह पर गुब्बारा बांध दिया. पानी गरम होते ही गुब्बारा फूलने लगा और वे सभी खुशी से उछल पड़ी.
अब उन्होंने गुब्बारे के मुंह को धागे से बांधा और उसे टोकरी से बांध दिया. अब वे सभी टोकरी के उड़ने का इंतजार करने लगीं पर टोकरी नहीं उड़ी.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin March First 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin March First 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.