आमिर अपनी होमवर्क नोटबुक में त्रिकोणमिति के कुछ प्रश्न हल कर रहा था, तभी उस की मां ने किचन से आवाज दी. रात के खाने का समय हो गया था, गरम खाने की स्वादिष्ठ खुशबू जो किचन में खाना उबलते समय आ रही थी, उस की नाक में पहले ही पहुंच चुकी थी.
उन के पेट में भूख के कारण चूहे कूद रहे थे, फिर भी उसे अपने आरामदायक कंबल से बाहर निकलने में काफी समय लग गया. कुछ पल वह चुपचाप बैठा रहा और अपनी खिड़की के शीशे से बाहर हो रहे स्नोफौल यानी बर्फ के फोहों को गिरते हुए देखता रहा.
आजकल उस स्कूल में सर्दियों की छुट्टियां थीं और वह अपने गरम कंबल में लिपट कर किताबें पढ़ कर, स्नैक्स का स्वाद लेते, टैलीविजन देखते और अपना होमवर्क पूरा करते हुए इन छुट्टियों लुत्फ उठा रहा था.
लौबी में अंगीठी में लकड़ी के लट्ठों के चटकने से आग जल रही थी, जो सर्दियों की ठंड को दूर करने के लिए लगाए गए थे.
एक मोटे लाल ऊनी स्वेटर और जुराबों की एक जोड़ी जो उस की दादी ने उस के लिए सिली थी, में लिपटे हुए वह लौबी में चला गया और खाने की टेबल के पास कुर्सी पर सीधा बैठ गया. उसके मम्मीपापा और दादीमां पहले से ही टेबल के पास बैठे थे.
आज उस की मां ने रात के लिए एक खास खाना बनाया था, क्योंकि उस के पापा एक हफ्ते की व्यापार यात्रा कर पड़ोसी शहर से लौटे थे. जब खाना खा लिया तो उस के पापा ने चमकदार, होलोग्राफिक गिफ्ट पेपर में एक पैकेट दिया.
अधीरता से आमिर ने एक पिक्चर स्टोरी बुक पाने के लिए इस पैकेट को खोला. इस के मुखपृष्ठ यानी सामने के कवर पृष्ठ पर शीर्षक 'चंपक' छपा था. किताब के पृष्ठों को हल्के से पलटते हुए उस ने देखा कि इस में तेज, रंगीन चित्रों, कौमिक्स, कविताओं और कहानियों से भरे चमकदार पृष्ठ थे.
आमिर का दिल जोश से भर गया था. अब जब वह सर्दियों की छुट्टिी के बाद स्कूल लौटा तो उसे अपने दोस्तों को कुछ बताना था.
किताब को अपने सिरहाने रख कर एक बार फिर वह गरम कंबल के नीचे दुबक गया.
रात का अंधेरा गहराता जा रहा था, आसमान में बहुत से तारे टिमटिमा रहे थे और हवा में उतने ही बर्फ के फोहे फुसफुसा रहे थे. उस के कमरे में पीली रोशनी की कोमल चमक और खिड़की के बाहर के दृश्यों ने सर्द रात को और भी ज्यादा स्वप्निल बना दिया था.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin March First 2023 sayısından alınmıştır.
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