शाम को 9 साल का राज 2 किलोमीटर दूर अपने "दोस्त कृष के गांव से अकेला लौट रहा था.
स्कूल की छुट्टियां थीं, इसलिए दोनों एकदूसरे से मिलने गांव जाते थे.
उस दिन राज कृष को देखने उस के गांव गया हुआ था. उन्होंने समय का ध्यान नहीं रखा, क्योंकि वे खेलने में व्यस्त थे और उसे घर लौटने में काफी देर हो गई थी.
रास्ते में दोनों गांवों के बीच एक जंगल था और जंगल के आसपास कई गांव थे. वहां डरने की कोई बात नहीं थी, क्योंकि इस जंगल में बाघ, चीता और अन्य हिंसक जीव नहीं रहते थे. ग्रामीण इस का उपयोग घास और लकड़ी लेने के लिए करते थे.
लौटते समय राज ने रास्ते में जंगल के किनारे एक विचित्र जानवर देखा. पहले उसे लगा कि शायद कोई कंगारू पेड़ से पत्ते तोड़ कर खा रहा है. वह सोचने लगा कि कंगारू तो यहां नहीं पाए जाते. जैसे ही उस ने उस का मुंह देखा वह बुरी तरह डर गया.
‘भूतभूत' चिल्लाते हुए वह बदहवाश सा गांव की ओर दौड़ पड़ा और घर में घुसते ही बेहोश हो गया. उसकी मां रमा को समझ नहीं आया उसे अचानक क्या हो गया? वह अकसर अपने दोस्त कृष से मिलने पड़ोस के गांव जाता था. यह कोई नई बात नहीं थी फिर आज उस ने ऐसा क्या देख लिया जो घर आ कर उस की यह हालत हो गई. उस का चेहरा पीला पड़ गया था. उसे देख कर रमा घबरा गई. उस ने उस के मुंह पर पानी के छींटे मारे. कुछ देर बाद उसे होश आ गया. अभी भी वह बुरी तरह घबराया हुआ था.
रमा ने प्यार से उस के सिर पर हाथ फेर कर पूछा, “क्या हुआ राज?”
यह सुन कर डर के मारे उस ने चादर के अंदर अपना मुंह छिपा दिया. अभी वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं था.
रास्ते में मीरा आंटी ने उसे चिल्लाते हुए घर की ओर भागते हुए देखा था. वह भी उस के पीछे घर पहुंच गई. उस ने राज की मां से पूछा, “क्या राज ठीक है?"
उस की मां ने कहा, “पता नहीं, आज उसे क्या हो गया?"
“मैं ने उसे रास्ते में 'भूतभूत' चिल्लाते हुए सुना था. तभी मैं उस के पीछे यहां चली आई," मीरा आंटी ने कहा.
“मैं ने पूछा था, लेकिन वह अभी कुछ बताने की स्थिति में नहीं है, ” राज की मां ने कहा.
"मुझे लगता है किसी भूत ने राज को पकड़ लिया है, ," मीरा आंटी बोली.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin March Second 2023 sayısından alınmıştır.
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चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"