टिम्मी को भी अब अपनी तारीफ सुनने की आदत सी पड़ गई थी. वह जब भी कहीं जाती तो खूब सजसंवर कर जाती और तारीफ सुन कर खुशी से फूल कर कुप्पा हो जाती.
एक शाम क्रियो मगरमच्छ ने नदी किनारे अपने जन्मदिन की पार्टी रखी और पूरे वन के जानवरों को बुलाया. अगर कोई और दिन होता तो टिम्मी जाने के लिए बेचैन होती व सज रही होती, पर उस दिन वह परेशान थी. वह आईने के सामने खड़ी सोच रही थी, 'न जाने कौन सा कीड़ा काट गया आंख के पास पूरा सूज गया है.
कितनी भद्दी सूरत लग रही है, अब कैसे जाऊं पार्टी में? जाना भी चाहती हूं, पिछले साल क्रियो ने कितनी बढ़ियाबढ़िया चीजें खिलाई थीं. सफेद रसगुल्ले तो कमाल के थे. इस कीड़े को भी आज ही काटना था.
तभी उसे याद आया कि आखिरी बार वह शहर कब गई थी उस ने गौगल्स खरीदे थे और उन्हें पहन कर वह स्मार्ट लग रही थी.
टिम्मी ने सोचा क्यों न उन्हें पहन कर देखूं ? उस ने तुरंत गौगल्स पहन कर देखा अब आंख के पास की सूजन दिखाई नहीं दे रही थी.
'यह हुई न बात. टिम्मी, तू सुंदर ही नहीं बुद्धिमान भी है,' उस ने खुद को आईने में देखते हुए कहा.
शाम को टिम्मी अच्छी तरह तैयार हो कर गौगल्स लगा कर पार्टी में जा पहुंची.
“अरे वाह, टिम्मी, तुम तो स्मार्ट लग रही हो पर तुम ने यह धूप का चश्मा रात को क्यों लगा कर रखा है?” टोटो कछुए ने पूछा.
“इन्हें गौगल्स कहते हैं और यह मेरा स्टाइल है. मैं इन्हें कभी भी पहनूं तुम्हें इस से क्या?” टिम्मी इतरा कर बोली.
पार्टी में सब खापी रहे थे, पर टिम्मी को खाना कुछ खास पसंद नहीं आया. पार्टी खत्म होने के बाद वह सैली के साथ घर लौटी.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin August First 2023 sayısından alınmıştır.
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जो ढूंढ़े वही पाए
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भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
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“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
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जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.