कोकोनट रिले रेस
Champak - Hindi|September First 2023
आज 2 सितंबर का दिन था यानी कोकोनट डे. कर्नाटक के एक गांव मंड्या के स्पोर्ट्स क्लब में आज कोकोनट डे मनाया जा रहा था. मिस्टर आयंगर अपने दो बच्चों वेंकट और गायत्री के साथ स्पोर्ट्स क्लब जाने की तैयारी कर रहे थे.
कुसुम अग्रवाल
कोकोनट रिले रेस

वेंकट और गायत्री स्पोर्ट्स क्लब जाने के लिए उत्सुक थे, क्योंकि उन के पापा ने उन्हें बताया कि यह उत्सव विनम्र नारियल के सम्मान में आयोजित किया जा रहा है.

मिस्टर आयंगर ने बच्चों की इस जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा, "नारियल कोई साधारण वस्तु नहीं है. यह एक अनूठा फल है. नारियल को आमतौर पर सूखा मेवा माना जाता है जबकि वास्तव में यह ड्रूप प्रजाति का फल है. यह बेर, आम, आडू, चेरी जैसा गुठलीदार फल है," उन्होंने बच्चों को समझाया.

वेंकट और गायत्री को अब भी नारियल का महत्त्व समझ नहीं आया और उन्होंने पूछा, "नारियल में ऐसी क्या विशेषता है, जो इसे इतना महत्त्व दिया जाता है."

पापा मुसकरा कर बोले, "मैं बताता हूं, नारियल के पेड़ अनोखे होते हैं, क्योंकि ये तटीय क्षेत्रों तथा रेतीली मिट्टी में ही पैदा होते हैं. ये इतने मजबूत होते हैं कि तेज हवाओं तथा कड़ी धूप को सहन करने की क्षमता रखते हैं. अतः हम इन्हें प्रकृति के सुपर हीरो भी कह सकते हैं."

"नारियल के पेड़ का प्रत्येक भाग उपयोगी होता है. नारियल पानी बहुत ही ताकतवर और पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है. नारियल की गिरी खाने में स्वादिष्ठ होने के साथसाथ फाइबर, विटामिन व खनिजों से भरपूर होती है. नारियल एंटीऑक्सीडेंट होता है. इसे प्राकृतिक ऐनर्जी बूस्टर भी कहा जाता है. इस का उपयोग तरहतरह के व्यंजनों को पकाने में किया जा सकता है. नारियल के ऊपर की जटा रस्सी, चटाई, गद्दे आदि बनाने में काम आती है. नारियल के पेड़ की लकड़ी घर और फर्नीचर बनाने के काम आती है. इस के पत्तों से झाडू बनाई जाती है. इस के फल के कड़े झिलके से तरहतरह की उपयोगी व सजावटी चीजें बनाई जाती हैं. नारियल के वृक्ष को 'जीवन वृक्ष' भी कहा जाता है, क्योंकि यह भोजन, आश्रय तथा कई तरह की कच्ची सामग्री प्रदान करता है. यह सौंदर्य प्रसाधनों तथा दवाइयों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. नारियल का तेल बालों तथा त्वचा के लिए बहुत लाभदायक होता है.

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रिटर्न गिफ्ट
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चांद पर जाना
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होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.

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चाय और छिपकली
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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी

दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"

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