बरसात का मौसम था. अक्तूबर की तेज गरमी थी और चारों ओर मच्छर भिनभिना रहे थे. रोरो अपनी जगह से उठ कर एल्मो के नजदीक बैठ गया.
"तुम एल्मो के पास क्यों चले गए?" मैडी बोला.
"मच्छर तंग कर रहे हैं. एल्मो के बगल में बैठूंगा तो वे परेशान नहीं करेंगे," रोरो ने उत्तर दिया.
"क्या मच्छरों को एल्मो से डर लगता है?" मैडी ने व्यंग्यपूर्वक पूछा.
"मैं इस बारे में कह नहीं सकता, लेकिन इस के बड़ेबड़े कानों के हिलने से मच्छर नजदीक नहीं आते,” रोरो हंस कर बोला.
यह सुन कर एल्मो को अच्छा नहीं लगा.
"मैं तुम्हें अपना सब से अच्छा दोस्त समझता था और तुम मेरे कानों का मजाक उड़ा रहे हो, तुम्हारे कान भी तो बड़े हैं, तुम उन्हें हिला कर खुद ही मच्छर भगा सकते हो?" एल्मो ने उत्तर दिया.
"वे तुम्हारे कानों की तरह हिल कर मच्छर नहीं भगा सकते," रोरो बोला.
"बेकार की बातें छोड़ कर तुम दोनों खाने पर ध्यान दो. अभी घंटी बज जाएगी तो खाना टिफिन में ही रखा रह जाएगा," डैनी बात बदलते हुए बोला.
रोरो की बात सुन कर एल्मो का मूड खराब हो गया था. उसे अपने बड़े कान वैसे भी पसंद नहीं थे और आज रोरो ने सब के सामने उस की खिंचाई भी कर दी थी. उस ने चुपचाप लंच खत्म किया. घंटी बजते ही वे सब क्लास में आ गए.
उस का उतरा हुआ चेहरा मैडी को अच्छा नहीं लग रहा था. वह बोला, "रोरो की बात को गंभीरता से मत लो एल्मो."
"सब मेरे बड़े कानों का मजाक उड़ाते हैं. मुझे भी ये पसंद नहीं हैं. पता नहीं हमें इतने बड़े कान क्यों दिए हैं?" ऐल्मो सिसकते हुए बोला.
"मेरी नानी कहती थीं कि कुदरत ने हाथी को बड़े कान और छोटी आंखें इसलिए दी हैं जिस से वह अपने शरीर को न देख सके."
यह जानकर एल्मो की आंखें फैल गईं, "उस से क्या होगा?" उस ने पूछा.
"वे कहती थीं कि यदि हाथी अपना शरीर देख लेगा तो उसे अपने पर बहुत घमंड हो जाएगा और वह वन्यजीवों को तंग करने लगेगा," मैडी ने बताया.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin October First 2023 sayısından alınmıştır.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.