एक दिन वह जोरजोर से गा रहा था. पास के पेड़ पर बुलबुल का परिवार रहता था. उस के बच्चे पढ़ाई कर रहे थे.
“मां, कोको अंकल इतनी जोर से गा रहे हैं कि हम पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं,” बच्चों ने शिकायत की.
“कितनी कर्कश आवाज में कांवकांव कर रहा है, इस से मेरे भी सिर में दर्द हो रहा है. अभी जा कर इसे चुप कराता हूं,” उन के पापा ने गुस्से में कहा और कोको के घर जाने के लिए उठे.
बुलबुल की मां नीना ने उन्हें रोका, “इस तरह पड़ोस में लड़ाई करना ठीक नहीं है."
“तो हम क्या करें? शोर सहते रहें? अब तो यहां रहना मुश्किल हो गया है?”
“मैं उस से बात कर के आती हूं," कह कर नीना कोको के घर की तरफ गई.
“वाह, कोको, तुम कितना अच्छा गाते हो? आज मुझे पता चला कि हमारे पड़ोस में इतना बड़ा गायक रहता है," नीना ने कहा.
“क्यों मजाक कर रही हैं आप,” कोको शरमा कर बोला.
“मैं ठीक कह रही हूं, पर आप अपनी कीमती आवाज को इस तरह बेकार क्यों कर रहे हैं? आप को तो किसी संगीत समारोह में गाना चाहिए, जहां सब टिकट खरीद कर आप का गाना सुनें.”
"उस के लिए तो मुझे काफी अभ्यास करना पड़ेगा,” कोको बोला.
"पर इस तरह सब के सामने अभ्यास मत करो, बिना टिक कर किसी को अपनी आवाज मत सुनाओ," कह कर नीना वापस चली गई.
अब कोको सोच में पड़ गया, “समारोह में गाना तो सभी गा लेते हैं, मुझे कुछ अलग करना है. सब से पहले मैं महान संगीतकारों के बारे में पता लगाता हूं.”
कोको लाइब्रेरी गया और संगीत की महान हस्तियों के बारे में लिखी कुछ किताबें लाया.
उन में से एक किताब 16वीं शताब्दी के संगीत सम्राट तानसेन के बारे में थी. उस ने पढ़ा कि तानसेन अकबर के नौ रत्नों में से एक था. शास्त्रीय संगीत में उस की पकड़ इतनी अच्छी थी कि उन्होंने कई नए रागों की रचना भी की थी. वह इतने अच्छे गायक थे कि दीपक राग गा कर आग और राग मल्हार गा कर वर्षा करा सकते थे.
“मुझे भी कुछ ऐसा करना है, जिस से आने वाले समय में भी सब मुझे याद रखें.”
कोको ने तय किया और सुनसान जगह पर जा कर रोज गाने का अभ्यास करने लगा.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin November First 2023 sayısından alınmıştır.
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