टीना खुशी से चारों ओर दौड़ना और जोर से गाना चाहती थी, लेकिन दादीमां की सहायिका मिस पौप्पी ने उसे चुप करा दिया.
“दादीमां आराम कर रही हैं," मिस पौप्पी ने फुसफुसाते हुए कहा. उस ने टीना को एक चूहे की तरह शांत रहने को कहा. "तुम्हारी दादीमां बहुत हलकी नींद सोती हैं और दोपहर की नींद में उन्हें डिस्टर्ब करना अच्छा नहीं है,” वह टीना को लाइब्रेरी रूम में ले गईं.
लाइब्रेरी बहुत बड़ी थी, जिस में काफी सारी पंक्तियों में पुस्तकें भरी हुई थीं. वहां मोटीमोटी किताबें थीं.
'क्या उन पर धूल जमी हुई है? अगर मैं ने उन्हें छुआ तो क्या धूल उड़ेगी नहीं?' टीना ने सोचा.
मिस पौप्पी मुसकराईं और उन्होंने एक छोटे से टेबल की ओर इशारा किया, जिस पर कुछ रंगीन और चमकदार पुस्तकें रखी हुई थीं. टीना मुसकराई, “क्या ये परी की कहानियां हैं?”
उसे परियों की कहानियां बहुत पसंद थीं. मिस पौप्पी ने उस के प्रश्न पर हां में सिर हिलाया और वहां से चली गईं. टीना पुस्तकों को देखने के लिए बैठ गई. उस ने 'लिटिल रैड राइडिंग हुड' पुस्तक खोली. सब से पहले उस ने तसवीरें देखीं.
हलकी बूंदाबांदी हो रही थी. टीना ने खिड़की से बाहर देखा. उस ने दरवाजे के किनारे एक भूसे की टोकरी देखी, जिस में कृत्रिम फल थे.
टीना मुसकराई और उसे उठा लिया. उस ने अपना लाल रैनकोट और लाल रैन बूट्स पहने तथा फलों की टोकरी को लटकाते हुए बगीचे में खेलने के लिए निकल पड़ी.
उस ने 'लिटिल रैड राइडिंग हुड' होने का नाटक किया.
उस की कल्पना में बगीचा जल्दी ही बड़े, लंबे पेड़ों के साथ जंगल में बदल गया और फिर बगीचे का रास्ता यानी गार्डन पाथ अब बर्डबाथ यानी पक्षी स्नानघर हो गया था.
एक कौवा बर्डबाथ में बैठ कर पानी के छींटे मार रहा था. टीना ने उसे दोस्त बनाने का बहाना बना कर कहा कि वह दादीमां से मिलने जा रही थी जो जंगल के पार एक छोटी सी झोंपड़ी में रहती थीं.
कौवे ने कांवकांव कर पूछा, “तो टोकरी में क्या है?”
लिटिल रैड राइडिंग हुड ने जवाब दिया, “दादीमां के लिए फल हैं ताकि उन्हें अच्छा महसूस हो."
कौवा फिर से कांवकांव करने लगा, “अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो जंगल में सावधान रहता."
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin November Second 2023 sayısından alınmıştır.
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चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.