फ्रेडी और स्टैपी
Champak - Hindi|December Second 2023
फ्रेडी मेढक और स्टैपी गौरैया एक घास के मैदान में रहते थे. वे दोनों बहुत दोस्त थे. वे अकसर घास के मैदानों पर एकसाथ घूमते और खेलते थे.
कुसुम अग्रवाल
फ्रेडी और स्टैपी

वे एकदूसरे के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते थे. यहां तक कि उन्हें यह भी नहीं पता था कि वे एकदूसरे से कितने अलग हैं.

एक दिन दोनों ने मनोरंजन के लिए दौड़ लगाने का फैसला किया.

“हम दोनों में से जो भी पहले उस घास के मैदान तक पहुंचेगा, वही विजेता होगा,” स्टैपी ने दूर पर्वत के पार एक घास के मैदान की तरफ इशारा करते हुए कहा.

“ठीक है,” फ्रेडी बोला और दौड़ शुरू हो गई.

स्टैपी ने उड़ान भरी और तेजी से अपने पंख हिलाती हुई वह उड़ने लगी. फ्रेडी ने कभी उसे उड़ते हुए नहीं देखा था. वह हैरान हो गया. उसने खुद भी हवा में ऊंचा उड़ने की कोशिश की मगर वह ऐसा नहीं कर पाया.

हार कर वह हमेशा की तरह अपनी मजबूत टांगों का प्रयोग कर के मैदान पर छलांग लगा कर कूदते हुए, हर बाधा को पार कर आगे बढ़ने लगा. एकदूसरे से बेखबर, वे अपनी धुन में बढ़े जा रहे थे कि रास्ते में एक झील आई.

फ्रेडी तुरंत पानी में कूद गया. वह अपने झिल्लीदार पैरों का सहारा ले कर मजे से तैरने लगा. जब स्टैपी ने उसे तैरते देखा तो वह बड़ी हैरान हुई. उस ने इस से पहले फ्रेडी को कभी तैरते हुए नहीं देखा था. वह भी तैरना चाहती थी.

Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin December Second 2023 sayısından alınmıştır.

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रिटर्न गिफ्ट
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\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.

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चांद पर जाना
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होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.

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चाय और छिपकली
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चाय और छिपकली

पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.

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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी

दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"

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मानस और बिल्ली का बच्चा

अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.

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पहाड़ी पर भूत

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जो ढूंढ़े वही पाए

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