शेरसिंह ने सोचा, 'हम वन में निवास करते हैं? हम तो स्वतंत्र भारत के निवासी हैं. हमें भी यह राष्ट्रीय पर्व मनाने का पूरा अधिकार है, यह सोच कर उस ने चंपकवन में गणतंत्र दिवस मनाने का फैसला किया.
इस अनोखी घटना की खबर चारों तरफ जंगल की आग की तरह फैल गई. इस बारे में पता चलते ही जंगल के जानवर उत्साहित हो गए. शेरसिंह ने जंबो हाथी को परेड मार्शल के रूप में चुना और उसे गणतंत्र दिवस की तैयारी शुरू करने का आदेश दिया.
जंबो ने खुशी से सभी जानवरों को यह खबर सुनाई और ऐलान किया, "मेरे प्यारे चंपकवन के निवासियो, आप को यह बताते हुए खुशी होती है कि हम भी धूमधाम से गणतंत्र दिवस मनाएंगे. अन्य आयोजनों के साथ हम अपनी अनूठी प्रतिभाओं का प्रदर्शन करते हुए एक भव्य परेड भी करेंगे. अतः आप सब को उस की तैयारी करनी है.”
जंगल के सभी छोटेबड़े, पंख वाले या रोएंदार जानवर परेड में अपनी अनूठी प्रतिभा दिखाने की कल्पना से रोमांचित थे.
जंबो ने यह ऐलान कर तो दिया मगर उस के मन में गणतंत्र दिवस परेड को ले कर आशंका थी. उसे डर था कि कहीं चंपकवन का प्रथम गणतंत्र दिवस प्रतिभाओं के अभाव में फीका न रह जाए. उस ने अपनी ह शंका बाघ ताकत खान को बताई.
जंबो की बात ध्यान से सुन कर ताकत खान ने उसे समझाया, “जंबो, आत्मविश्वास से बड़ी कोई चीज नहीं होती, यदि हमारे वन के पशुओं ने परेड में भागीदारी करने की ठान ही ली है तो देखना वे अवश्य ही कुछ कर दिखाएंगे. हमें उन पर विश्वास करना चाहिए. आप के यकीन के लिए मैं भी इस परेड में भाग लूंगा.”
ताकत खान की बात सुन कर जंबो परेड की ओर से निश्चित हो गया. अब उसे ब्लैकी भालू के पास जाना था, क्योंकि वही इस विशेष राष्ट्रीय पर्व के दिन के लिए स्वादिष्ठ लड्डू तैयार कर सकता था.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin January Second 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin January Second 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"