इस पर पूजा मुंह पर हाथ रख, धीरे से हंस कर बोली, "फुटबौल लाने की क्या जरूरत है जब रिया वहां है," फिर वह रिया की ओर इशारा कर के बोली, "आइए, मैडम फुटबौल."
यह सुनते ही सभी विद्यार्थी जोरजोर से हंसने लगे और हमेशा की तरह रिया फिर शर्मिंदा हो गई और रोने लगी.
रिया काफी हंसमुख और शालीन स्वभाव की लड़की थी. उसे नृत्य करना बहुत पसंद था और वह पढ़नेलिखने में भी बहुत होशियार थी. वह खुद से असंतुष्ट थी, क्योंकि वह अपनी उम्र के बच्चों की तुलना में थोड़ा मोटी थी.
वह अकसर अपनी पीठ पीछे फुसफुसाहट और खिलखिलाहट सुनती थी. कोई उस के बैठते समय उस के द्वारा घेरी गई जगह को ले कर, कोई उस के टिफिन में रखे भोजन को ले कर, कोई उस के कपड़ों के साइज को ले कर तो कोई उस की साइकिल के पिचके टायरों को देख कर हंसता था.
इस से रिया का आत्मविश्वास बिलकुल टूट गया था. उस के मन में हीन भावना भर गई थी. वह अकेला रहना अधिक पसंद करती थी. उसे किसी प्रोग्राम में भाग लेना भी अच्छा नहीं लगता था. उसे लगता था कि जब स्टेज पर जाएगी तो लोग उस का मजाक उड़ाएंगे.
पतली होने के चक्कर में कई बार वह पूरे दिन खाना नहीं खाती थी और वजन कम करने के लिए व्यायाम भी करती थी, लेकिन इस का उस पर कोई असर नहीं होता.
रिया की मम्मी उसे समझाती कि अपने शरीर के आकार की उसे इतनी चिंता नहीं करनी चाहिए. उसे अपने स्वास्थ्य, पढ़ाईलिखाई तथा अन्य गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए.
मगर रिया कुछ समझने को तैयार ही नहीं थी. वह तो रातदिन दुखी रहती थी. वह किसी से मित्रता करना भी पसंद नहीं करती थी.
एक दिन, स्कूल से वापस आते रिया की नजर एक अनोखी दुकान पर पड़ी. दुकान के बोर्ड पर लिखा था, "जादुई आईना," यह पढ़ कर रिया की जिज्ञासा बढ़ी. वह दुकान के अंदर चली गई.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin February Second 2024 sayısından alınmıştır.
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