धोखा
Champak - Hindi|March First 2024
"कहो टिन्नी, आजकल कैसी कट रही है तुम्हारी जिंदगी?" जियो सियार ने टिन्नी लोमड़ी से पूछा तो उस ने लंबी सांस भरी...
इंद्रजीत कौशिक
धोखा

"पूछो मत भैया, बड़े बुरे हाल हैं. ऐसा लगता है सारी समझदारी हमारे जंगल में ही आ गई है. आजकल किसी को धोखा देना असंभव है. अब जब कोई हमारे जाल में फंसेगा ही नहीं तो हम जैसे जानवरों की रोजीरोटी कैसे चलेगी?" टिन्नी ने दुख प्रकट किया.

"बहन, तुम ने बिलकुल ठीक कहा. हमारी हालत खराब है. अगर यही हाल रहा तो मेरा बैंड बजना तय है," जोजो बोला.

जब वह दोनों आपस में बातें कर रहे थे तभी सामने से बंटी बंदर आता हुआ दिखा. उस ने उन दोनों की बातचीत सुन ली थी.

बंटी बोला, "इस तरह हिम्मत हारने से कुछ नहीं होगा. मेरे पास एक अच्छा आइडिया है, यदि तुम चाहो तो इसे अपना कर अपने बिजनैस को शुरू कर सकते हो. यह आसान है, तुम्हें बस एक छोटा सा काम करना होगा, बाकी सब मैं संभाल लूंगा. इस काम के बदले तुम्हें ढेर सारा पैसा मिलेगा," कहते हुए बंटी ने अपनी स्कीम बताई.

कम से कम काम कर के ज्यादा पैसा कमाने के आइडिया से सहमत होने पर टिन्नी और जोजो को उस ने गुप्त स्थान पर ले जा कर मिशन शुरू किया.

अगले दिन एक टूटी साइकिल के पीछे बैठे टिन्नी ने पुकारा, "भगवान के नाम पर कृपया कुछ दे दो," लंगड़ा हुआ चल रहा था. उस ने राहगीरों की तरफ हाथ बढ़ा कर भीख मांगी.

"क्या हुआ, तुम दोनों इस तरह दुखी और परेशान क्यों नजर आ रहे हो ? टिन्नी के पांव में प्लास्टर क्यों बांधा हुआ है?"

रास्ते में आनेजाने वाले सवाल पूछने लगे तो जो उन से रोनी सूरत बना कर बोला, "ऐक्सीडेंट में इस बेचारी बच्ची की टांग टूट गई है, इसलिए यह चलफिर नहीं सकती, मेरी जान भी जातेजाते बची है. हम दोनों से कोई कामकाज नहीं होता, इसलिए मजबूरी में भीख मांगनी पड़ रही है."

जोजो की मनगढ़ंत कहानी सुन कर राहगीरों का मन पिघल जाता और वे जेब से पैसे निकाल कर दे देते. शाम होने तक दोनों के पास अच्छेखासे पैसे आ जाते थे. उन पैसों से दोनों खूब गुलछर्रे उड़ाते.

एक दिन हमेशा की तरह टिन्नी और जोजो बाजार में भीख मांगते जा रहे थे. तभी सामने से पुलिस इंस्पैक्टर डिंगो हाथी ने उन्हें रोक लिया.

"इन को यहीं रोके रखो, हमें इन दोनों की गतिविधियां संदिग्ध लग रही हैं, " डिंगो ने कहा तो वे घबरा गए.

"लेकिन हमारी तलाशी क्यों? हम भिखारियों के पास भला क्या मिलेगा इंस्पैक्टर?" हिम्मत जुटा कर जोजो पूछा.

Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin March First 2024 sayısından alınmıştır.

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