"अरे चीकू, क्या तुम्हें नहीं पता, जंगल की संसद में आज एक खास बिल पर बहस हो रही है? मैं संसद की दर्शक दीर्घा में बैठ कर उसी विधेयक पर बहस सुनूंगा," जौनी ने उत्तर दिया.
"कौन से बिल पर, जौनी?" चीकू ने पूछा.
"चीकू, तुम्हें तो पता ही होगा कि जंगल के मगरमच्छों ने तालाबों पर अपना कब्जा कर लिया है और स्थलचर जीवों को वे अपने तालाबों का पानी इस्तेमाल नहीं करने देंगे. जंगल की सरकार इस के खिलाफ एक विधेयक ला रही है, जिस में कहा गया है कि तालाब, नदी और झरनों के पानी पर सबका अधिकार है," जौनी ने समझाया.
"ठीक है, फिर तो यह बहुत खास बिल लगता है. इस पर होने वाली बहस को तो मैं भी सुनना चाहूंगा."
"तो फिर चलो चीकू, जल्दी करो."
जौनी और चीकू जल्दी से जंगल की ओर बढ़ गए. जैसे ही वे दर्शक दीर्घा में बैठे, लोक सभा स्पीकर माननीय मंटू हिरण ने बिल पर बहस शुरू कर दी.
बहस में भाग लेते हुए मगरमच्छों क समर्थन करने वाले और सरकार विरोधी कुक्को केकड़े ने बहस में भ लेते हुए कहा, "माननीय अध्यक्षजी, जमीन पर रहने वाले स्थलचर जीवों का जमीन की हर चीज पर अधिकार है तो फिर जलचर जीवों का तालाबों, झरनों और नदियों पर अधिकार क्यों नहीं होना चाहिए?"
तभी जैमी हाथी ने विरोध करते हुए कहा, "माननीय अध्यक्षजी, मैं कुक्को की बात से कतई सहमत नहीं हूं. यदि ऐसा हुआ तो हम हाथी तो प्यासे ही मर जाएंगे. हम नहाने कहां जाएंगे और जलक्रीड़ा कहां करेंगे?"
"जलक्रीड़ा करने के बजाय तुम्हें धूलक्रीड़ा करनी चाहिए," पीछे से बैनी लोमड़ ने यह बात कही तो पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा.
हंसी तो स्पीकर मंटू हिरण को भी आई, लेकिन उन्होंने खुद को संभालते हुए बैनी को नसीहत दी, "बैनी, तुम्हें पता है कितने खास विषय पर बहस चल रही है और तुम्हें मजाक सूझ रहा है."
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin May First 2024 sayısından alınmıştır.
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