रहस्यमय रास्ता
Champak - Hindi|May Second 2024
एक समय की बात है, गारो घाटी में एक छोटा सा गांव था. वह पहाड़ियों और घुमावदार नदी से घिरा हुआ था. वहां दो दोस्त मोहित और रोशन रहते थे. मोहित के भूरे घुंघराले बाल और काली चमकदार आंखें थीं. उसे पढ़ना काफी पसंद था. रोशन को बाहर रहना और प्रकृति का आनंद लेना पसंद था. वे दोनों 7 साल के थे और अपने आसपास की दुनिया का पता लगाना पसंद करते थे.
क्षमा गौतम
रहस्यमय रास्ता

एक दिन सुबह धूप खिली थी, वे नदी के किनारे चल रहे थे, तो उन्होंने घने जंगल में एक रहस्यमय रास्ता देखा..

“क्या तुम्हें लगता है कि हमें उस रास्ते पर चल कर देखना चाहिए कि वह कहां जा रहा है?" मोहित ने रोशन से पूछा.

"जरूर, यह किसी छिपे खजाने या किसी जादुई प्राणी तक पहुंचा सकता है," मोहित ने शरारती के साथ कहा.

उस विचार के साथ वे घर गए और एक छोटे से बैग में स्नैक्स रख कर पैक किए. उन्होंने रोशन के बड़े भाई से एक नक्शा बनाने में मदद मांगी. उन्होंने मोहित के दादाजी से एक कंपास लिया और जंगल की तरफ चले गए.

जैसेजैसे वे घने जंगल में गए, पेड़ों की लंबाई बढ़ती गई और झाड़ियों से सरसराहट की आवाज सुनाई देने लगी. वे रुक गए, उन की धड़कनें बढ़ गई थीं.

"रुको रोशन, शोर मत करो. मुझे लगता है झाड़ी के पीछे कोई जानवर है," मोहित बोला.

वे रुके और इंतजार करने लगे, उन्होंने देखा कि एक छोटा सा रोएंदार प्राणी उन की तरफ देख रहा है.

"हैलो," मोहित ने अपना हाथ धीरे से उस की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "हम शांति चाहते हैं." 

प्राणी सावधानी से बाहर आया और उस ने अपना परिचय पिप के रूप में दिया. वह मिलनसार था और उस की हरी आंखें व झाड़ीनुमा पूंछ थी, जो हिल रही थी.

"क्या आप साहसी हो?" पिप ने उत्सुकता से पूछा.

"हां, हम साहसी हैं," मोहित चिल्लाया.

"हम कोई खजाना या जादुई जीव को खोजने आए हैं," रोशन ने कहा.

पिप की आंखें चमक उठीं.

"मैं उस जगह को जानता हूं,” उस ने कहा और उन्हें जंगल में और अंदर ले गया.

थोड़ी देर बाद वे एक साफसुथरे स्थान पर पहुंचे. उस के बीचोंबीच एक चमचमाता तालाब था. मोहित और रोशन का मुंह विस्मय से खुला का खुला रह गया,

Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin May Second 2024 sayısından alınmıştır.

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रिटर्न गिफ्ट
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रिटर्न गिफ्ट

\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.

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चांद पर जाना
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चांद पर जाना

होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.

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चाय और छिपकली
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चाय और छिपकली

पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.

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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी

दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"

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मानस और बिल्ली का बच्चा
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मानस और बिल्ली का बच्चा

अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.

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पहाड़ी पर भूत

चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.

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जो ढूंढ़े वही पाए

अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.

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एक कुत्ता जिस का नाम डौट था

डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.

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स्कूल का संविधान

10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.

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तरुण की कहानी
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\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.

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