यह जान कर उसे अच्छा लगा था कि वह वहां थी, थी और अभि किंडरगार्टन लेकिन वह हाइस्कूल में था. उनकी बिल्डिंगें दूरदूर थीं.
"बिल्डिंग ज्यादा दूर नहीं है. लंचब्रेक के दौरान मैं आऊंगी और तुम से मिलूंगी, चिंता मत करो," अंबि ने उसे बारबार सांत्वना दी.
अभि स्कूल जाने से एक रात पहले ठीक से सो नहीं पाया. सुबह मम्मी ने उसे शांत कराया जब वह उसे तैयार कर रही थीं. उन्होंने उसे नई पानी की बोतल और लंच बौक्स दिया.
"मैं ने तुम्हारे पसंदीदा पनीरसमोसा और ब्लूबेरी मफिन पैक कर दिए हैं," मां ने कहा.
वह स्कूल नहीं जाना चाहता था. उस ने मम्मी की साड़ी से लिपट कर अपनी नाक और आंसुओं को पोंछा. तभी उन्होंने बस ड्राइवर मुकेश की आवाज सुनी, वह हर्न बजा रहा था.
अंबि अभि को इंतजार कर रही बस तक लगभग खींच कर ले गई.
उस ने अभि की बस में चढ़ने में मदद की. अभि सुबक रहा था और पीछे मम्मी को देख रहा था. अंबि ने उस के बैग को सीट पर रखा और उसे एक अच्छे बच्चे की तरह शांति से सीट पर बैठने के लिए कहा, "क्या तुम एक अच्छा बच्चा नहीं हो?" उस ने मधुर आवाज में पूछा.
"नहीं, मैं नहीं हूं. मैं घर वापस जाना चाहता हूं," बस के फर्श पर लोटते हुए अभि चिल्लाया.
"तुम क्या कर रहे हो अभि?" अंबि हांफते हुए बोली. उस की सभी दोस्त हंसने लगीं. "क्या तुम ऐसा बरताव करोगे, देखो, हर कोई तुम पर हंस रहा है," अंबि गुस्सा हो गई.
"मैं स्कूल अकेला नहीं जाना चाहता हूं," अभि रोने लगा. आंसू उस के गालों पर लुढ़क आए.
"तुम अकेले नहीं हो, मैं भी वहीं हूं. मैं वादा करती हूं कि तुम और तुम्हारी टीचर से मिलूंगी तथा उन से कहूंगी कि तुम्हारा खास ध्यान रखें, तुम्हें सब से ज्यादा टौफी और चौकलेट दें," अंबि ने फुसफुसा कर कहा.
यह सुन कर अभि उठ कर खड़ा हो गया और उस की बगल वाली सीट पर बैठ गया. धीरेधीरे उस ने अपने आंसू पोंछे और चारों ओर देखा. अभि की विपरीत सीट पर बैठे बच्चे उसे देखते हुए मुसकरा रहे थे.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin July Second 2024 sayısından alınmıştır.
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.