“क्या तुम्हें भूतों की कहानियां पढ़ने से डर नहीं लगता?” उस ने मुसकराते हुआ पूछा और किताब उसे सौंप दी.
"बिलकुल नहीं अंकल, मैं बहादुर बच्चा जो हूं,' इतना कह कर अमय वहां से चला गया. सरन, अजय और सना, तीनों नितिन के आने का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही वह किताब ले कर वहां पहुंचा चारों दोस्त उसे ले कर पीछे वाले कमरे में चले गए.
दरअसल, दोस्तों के बीच शर्त लगी थी कि अमय भूतों की कहानी नहीं पढ़ पाएगा. वे तीनों उसे डरपोक साबित करने पर तुले हुए थे.
किताब में तरहतरह की कहानियां थीं. बरगद वाला भूत, गंजा भूत, मोटा भूत और पतला भूत. सभी तरह की कहानियां थीं. उन्हें पढ़ते पढ़ते बच्चों के चेहरे का रंग बदलता जा रहा था.
सना ने कहा, "कुछ खाने को हो तो ले कर आओ, बड़े जोर की भूख लगी है.
वे सभी एकदूसरे का मुंह देखने लगे. बाहर कुछ लेने कौन जाएगा ? मन ही मन सभी को बाहर जाने से डर लग रहा था.
"मैं देखता हूं. फ्रिज में कुछ खाने को हो सकता है," अमय इतना कह कर फ्रिज में से एक कटोरी ' खीर ले आया. जल्दबाजी में फ्रिज का दरवाजा खुला रह गया.
चारों दोस्तों ने मिल कर खीर खाने का लुत्फ उठाया पर तभी कुछ ऐसा घटा कि जिसे देख कर उन की हालत खराब हो गई.
घर के पास ही एक पेड़ था. उस पेड़ पर गोगो नाम की एक छोटी गिलहरी रहती थी. उस ने फ्रिज का दरवाजा खुला देखा तो वहां रखी खानेपीने की चीजें देख कर उस के मुंह में पानी आ गया.
गोगो ने अपने दोस्त कोको गिलहरी से कहा, "कोको, उस तरफ देखो. फ्रिज के अंदर कितना कुछ खाने को रखा है."
"दूसरों के घर इस तरह ताकझांक करना अच्छी बात नहीं बेटा. अगर तुम्हें भूख लगी है तो पेड़ पर लगे पके फल तोड़ कर खा लो," कोको ने कहा और फल खाने शुरू कर दिए.
गोगो को सलाह अच्छी नहीं लगी. वह चुपचाप पेड़ से उतर कर रसोई में चला गया. इस डर से कि कहीं किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी. इसलिए उस ने फ्रिज में अपने लिए जगह बनाई और भीतर जा कर बैठ गया.
वहां बैठ कर उस ने जीभर कर फल और मिठाई खाई. अंदर काफी ठंड थी इसलिए खाने के बाद उसे तुरंत ही नींद आ गई.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin August First 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin August First 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.