"हम लगभग वहां पहुंच चुके हैं,” सामने की सीट पर बैठी दादीमां ने कहा.
एक बार फिर चंद्रपुर गांव के एक नीरस मानसून के बारे में सोच कर अनन्या का दिल बैठ गया, क्योंकि उस के दोस्त शहर में मानसून के रोमांच का आनंद ले रहे थे.
डगमगाती बस आखिरकार रुकी तो दादीमां ने अपने बैग इकट्ठा किए. “आओ, प्रिय," उन्होंने गंदगी भरे रास्ते पर चलते हुए कहा. छोटी ईंटों से बने मकानों के समूह को उन्होंने देखा. महिलाएं रंगीन कपड़े पहन कर बाहर बातें कर रही थीं, जबकि बच्चे कंचे खेल रहे थे.
जब वे एक घर के पास पहुंचे तो अनन्या का हमउम्र एक लड़का ऊपर से उन्हें देख रहा था. "आप का स्वागत है दादीमां,” उस ने आवाज लगाई. अनन्या को देख कर वह गर्मजोशी से मुसकराया, "हैलो, मै रोहन हूं. मैं तुम्हें यहां चारों तरफ गांव और जंगल दिखाऊंगा."
रोहन के मन में उस के लिए प्रसन्नता का भाव था. वह गांव में अपने इसी प्रेमी स्वभाव के लिए जाना जाता था. अनन्या उसे तुरंत पसंद करने लगी. एक दोपहर उस ने अपनी हमउम्र लड़की मीरा का उस से परिचय कराया.
"हैलो," मीरा मुसकराते हुए बोली.
हैलो प्रकृति से बहुत प्यार करती थी और अपनी नोटबुक में जानवरों और पौधों के चित्र बनाती थी.
रोमांच के कार्यों के लिए उन की अद्भुत तिकड़ी बन गई. एक दिन अनन्या ने सुझाव दिया, “क्यों न हम जंगल में और अंदर जाएं? शायद हमें कोई अद्भुत चीज मिल जाए.” रोहन और मीरा की आंखें चमक उठीं और उन्होंने उत्सुकता से सिर हिलाया.
जंगल में घुसते ही वे कुछ दूर तक आगे बढ़े और अचानक रुक गए. एक विशाल बरगद का पेड़ उन के सामने खड़ा था, जिस की जड़ें सांप की तरह जमीन पर ऐंठन लिए फैली थीं. अनन्या को पुराने मुड़े हुए पेड़ के तने के अंदर पुराने कागज की तुड़ीमुड़ी एक शीट मिली और उस ने इसे सावधानी से खोला.
इस में अजीब नमूने थे, पेड़ों के चित्र, एक पुरानी इमारत के साथ एक पहाड़ी और रेखाएं जो एक पथ को चिन्हित करती प्रतीत होती थीं.
"यह एक नक्शा है,” रोहन ने कहा. "मुझे लगता है कि यह जंगल में एक खुली जगह की तरफ इशारा कर रहा है, लेकिन मैं ने इसे खुद कभी नहीं देखा है."
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin August First 2024 sayısından alınmıştır.
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
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एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
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“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
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जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
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बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
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\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.