"मुझे अपने देश की याद आ रही है. मैं यह देखने भारत जा रहा हूं कि आजादी के 77 साल बाद हमारा देश कैसा है?" कहते हुए बाबा ने अपनी लाठी उठाई और चल पड़े.
"ठीक है, पहले आप जा कर देखो, फिर हम सभी अपने प्यारे देश को देखेंगे," क्रांतिकारियों ने कहा.
कुछ ही देर में बाबा भारत पहुंच गए. पहले तो उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ. उन्हें हर तरफ भारत की तेज तरक्की दिख रही थी.
सड़कों पर बड़ीबड़ी गाड़ियां, गगनचुंबी इमारतें और भारी भीड़ देख कर बाबा, दंग रह गए. उन्होंने देखा कि दुकानों का नाम 'इंडिया' और 'भारत' लिखा है. उन्होंने जब हर जगह भारत का झंडा देखा तो उन्हें यकीन हो गया कि वे भारत की धरती पर ही हैं.
जब गांधी बाबा ने इधरउधर देखा तो उन्हें एक स्कूल दिखाई दिया, जिस का नाम 'महात्मा गांधी स्कूल' था.
आगे बढ़े तो उन्हें आसपास ढेर सारा कचरा बिखरा नजर आया. पास ही एक 'स्वच्छ भारत अभियान' का साइन बोर्ड लगा हुआ था.
"यहां इतना कूड़ाकचरा क्यों है?" उन्होंने पास खड़े व्यक्ति से पूछा.
"आज सफाई वाला नहीं आया," इतना कह कर वह आदमी वहां से चला गया.
गांधी बाबा को तो साफसफाई पसंद थी, इसलिए उन्होंने झाडू उठा कर खुद ही सफाई करनी शुरू कर दी. उन्हें अकेले सफाई करते देख कर दूसरे लोग भी मदद के लिए आगे आए. देखते ही देखते पूरा मैदान साफसुथरा नजर आने लगा.
इसके बाद बाबा ने एक स्कूल में प्रवेश किया और क्लासरूम की तरफ चल दिए.
"बच्चो, क्या तुम इन को पहचानते हो?" दीवार पर लगे फोटो की तरफ इशारा करते हुए टीचर ने पूछा.
ज्यादातर बच्चे चुप रहे.
"सर, पिछले साल 2 अक्तूबर को टीवी पर 'गांधी' फिल्म दिखाई गई थी, उस में बेन किंग्सले ऐसे ही दिखाई दे रहे थे," पीछे बैठे एक लड़के ने जवाब दिया.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin October First 2024 sayısından alınmıştır.
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.