प्रिंसिपल ने घोषणा की कि सब से अच्छा रावण का पुतला बनाने वाली कक्षा को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा. इसी वजह से सभी बच्चे इस कार्य के लिए उत्साहित थे.
रावण के पुतले बनाने के लिए तीनों कक्षाओं को कुछ नियम बताए गए थे. पहला नियम था कि पुतले की लंबाई 5 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए और दूसरा, इसे जलाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आतिशबाजी में छोटे और कम प्रदूषण वाले पटाखे होने चाहिए, जैसे फुलझड़ी, अनार, सुतली बम और बिजली बम.
कम आवाज वाले पटाखों के इस्तेमाल से कुछ बच्चे निराश थे कि बिना धूमधड़ाके से रावण दहन करने में कोई मजा नहीं आएगा, लेकिन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए नियमों का पालन करना जरूरी था.
सभी बच्चे यह सुनिश्चित करने के लिए विचार कर रहे थे कि उन की कक्षा द्वारा बनाए गए रावण को प्रथम स्थान मिले.
मैदान में दशहरे का मेला शुरू हो चुका था, स्कूल के तीसरी, चौथी व 5वीं कक्षा के बच्चों द्वारा आयोजित रामलीला की अतिथियों, स्कूल प्रशासन और दर्शकों ने काफी सराहना की. स्कूल प्रशासन ने बच्चों को पुरस्कृत भी किया.
मेले में दो दिन तक चली रामलीला के बाद दशहरे का उत्सव था. स्कूल प्रशासन के साथसाथ सभी दर्शक भी बच्चों द्वारा बनाए गए तीनों पुतलों को देखने के लिए उत्साहित थे.
स्कूल के मैदान में पुतले सजाए गए थे. छठी कक्षा का रावण का पुतला अलगअलग रंगों से रंगा हुआ रंगबिरंगा और आकर्षक लग रहा था. इस पुतले को देख कर सभी कह रहे थे, "देखो, इस रंगबिरंगे रावण को."
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin October First 2024 sayısından alınmıştır.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.