"सब लोग कहां हैं?” नंदू ने हैरानी से पूछा.
"वे जल्द ही आ जाएंगे,” सोहम ने मुसकराते हुए कहा, "तुम इस दौरान हैलोवीन की डैकोरेशन करने में मेरी मदद क्यों नहीं करते?"
नंदू ने कमरे में हर जगह झाडू लगाने और कुछ खोपड़ियां और नकली मकड़ी के जाले रखने में सोहम की मदद की. उन्होंने खाने की मेज के पास कुछ बड़े कद्दू खींचे.
नंदू ने खाने की मेज को देखा, वह काफी आकर्षक लग रही थी, नारंगी और काले रंग के कपकेक, मकड़ी के आकार की कुकीज और कैंडी थीं. सोहम बहुत व्यस्त था. उस ने मैश किए हुए आलू भरे शिमला मिर्च भी बेक किए और उन पर गुगली आंखें चिपका दीं. वाकई वे डरावने और मजेदार लग रहे थे.
वहां बहुत बड़ा पनीर पिज्जा था, जिस ने लगभग पूरी मेज को ढक लिया. वह जैतून से बनी डरावनी आंखों वाले भूत जैसा लग रहा था.
वहां झंडियों और कुर्सियों पर काले धागों से लटके चमगादड़ थे और चौकलेटों से भरी खोपड़ी वाली बालटियां थीं.
"वाह, आप ने डैकोरेशन में बहुत मेहनत की है, " नंदू ने प्रभावित हो कर कहा.
तभी दरवाजे की घंटी बजी. बाहर स्वाति और अनु थीं. वे चिपमंक की पोशाक में थीं. उन के पीछे प्रणय खड़ा था, जो काउबौय की पोशाक में था.
"आप सभी ने इतनी पोशाकें क्यों पहनी हैं?" नंदू कुछ उलझन में पूछा.
स्वाति और अनु हंसे, "यह हैलोवीन ड्रैसअप पार्टी है, मूर्ख."
"हैलोवीन कौस्ट्यूम पार्टी ?” नंदू ने अपना सिर खुजलाया. उत्तेजना मैं उस ने निमंत्रण कार्ड ठीक से नहीं पढ़ा. काश, वह जैसा चाहता था उसे वैसा ही मिलता. अब अपनी जींस और टीशर्ट देख कर वह रोने लगा.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin October Second 2024 sayısından alınmıştır.
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मोबाइल वाला चूहा
रिकी चूहा अपने बिल से बाहर निकला और किसी काम के लिए चल पड़ा. कैटी बिल्ली ने उसे देखा और पकड़ने के लिए दौड़ी, लेकिन रिकी उस से ज्यादा स्मार्ट निकला.
हैलोवीन कौस्ट्यूम पार्टी
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आसमान में शाम ढल रही थी. बैगनी रंग के घर के बाहर शरद ऋतु की ठंडी हवा बह रही थी, उस घर के चारों तरफ बिना पत्तों के कुछ पेड़ खड़े थे.
डरावनी रात
रात हो चुकी थी. डोडो हिरण शहर से जंगल की ओर लौट रहा था.
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धूमधाम से रावण दहन
दशहरा आने वाला था, इसलिए टीचर्स और स्टूडेंट्स हर साल की तरह स्कूल में इस खास अवसर पर आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय मे की तैयारी में व्यस्त थे. इस बार मेले की तैयारी में रामलीला मंचन की जिम्मेदारी कक्षा 3, 4 व 5वीं के बच्चों को सौंपी गई थी, तो कक्षा 6, 7 और 8वीं के बच्चों को इस बार रावण के पुतले बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
आए गांधी बाबा
\"बाबा, इतनी सुबहसुबह आप कहां चल दिए?\" स्काई पार्क में बैठे गांधी बाबा के क्रांतिकारी साथियों ने पूछा. वह मुसकरा दिए...