लाइक, शेयर और सब्सक्राइब का मोह ऐसा है कि 45 साल की उम्र का कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर भी इस से दूर नहीं रह पाया है. रहे भी कैसे, जमाना यूट्यूब, इंस्टाग्राम का है और माहौल धार्मिक कथावाचकों का है. यूट्यूब पर देवकीनंदन के लगभग 50 लाख फौलोअर्स हैं. बातें श्री वाली भले न हों पर अपने नाम के आगे श्री लगाने का रिवाज हर कथावाचक की तरह इस ने भी निभा लिया है.
देवकीनंदन अकसर विवादों में घिरा रहता है. कभी हिंदुओं से 55 बच्चे जनने को कहता है तो कभी जनसंख्या नियंत्रण की बात करता है. देवकीनंदन केवल कथावाचक ही नहीं है बल्कि वह अपनी पहचान कट्टर सनातनी हिंदू रक्षक, गो रक्षक, हिंदू राष्ट्र को स्थापित करने वालों की बताता रहा है.
दानदक्षिणा वाली शिक्षा
निंबार्क वैष्णव संप्रदाय एक पुरानी धार्मिक संस्था है जहां प्रचारक बनाए जाते हैं. देवकीनंदन भी उसी संस्था से शिक्षितदीक्षित एक प्रचारक है. कोसों दूर जब घर में बत्ती गुल हो तब देवकीनंदन के यूट्यूब पर दर्शन हो जाते हैं. दरबार लगता है, जहां बड़े से पंडाल में बैठे हजारों लोगों के बीच चमचमाती एलईडी लाइट्स सत्य का प्रकाश छोड़ती हैं. ऐसा सत्य जिस में मिथ्य ही मिथ्य भरा रहता है.
यूट्यूब वीडियोज देवकीनंदन के पीछे कृष्ण की बड़ी सी तसवीर लगी रहती है और उस के आगे लंबे बाल, गोल गाल, माथे पर लंबा लाल टीका और कुरते पहने बड़े से सोफे पर देवकीनंदन बैठा रहता है. जाहिर है अपने पहनावे से वह यह साबित कर देता है कि वह जो कुछ कहने जा रहा है वह सिर्फ एक समुदाय विशेष के लिए है. एक छोटी सी कृष्ण की मूर्ति को सजाधजा कर देवकीनंदन के पास रखा जाता है. यह सब देख कर लगता है देवकीनंदन के ऊपर भगवान कृपा हो या न, पर पैसों की कृपा खूब बरस रही है.
कहते हैं कोई 39 साल पहले मथुरा के नजदीक एक गांव ओहावा में देवकीनंदन प्रसाद 6 साल की उम्र में घर छोड़ कर वृंदावन के रामलीला संस्थान से जुड़ गया था. जहां वह आगे चल कर श्रीकृष्ण यानी ठाकुरजी का किरदार निभाने लगा. यहीं निंबार्क संप्रदाय से दीक्षा लेने के बाद देवकीनंदन श्रीमद्भागवत कथा करवाने लगा. उस के बाद उसे अपने नाम में प्रसाद की जगह ठाकुर नाम से नवाजा गया.
मूर्ख बनाने का व्यापार
Bu hikaye Mukta dergisinin March 2024 sayısından alınmıştır.
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