CATEGORIES
Kategoriler
जो बाइडन के कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका तो रहेंगे करीब ही...
भारत-अमेरिका संबंधों को गति देने में अमेरिका में बसे विशाल प्रवासी भारतीयों का भी अहम योगदान रहा है. ये पूरी तरह से अमेरिकी जीवन से जुड़े हैं और अभी भी भारत के साथ निकट संबंध रखते हैं. भारतीय प्रवासियों ने अमेरिका में अनेकों सफल स्टार्टअप्स स्थापित किए हैं. वहां पर स्थापित कुल स्टार्टअप में से लगभग 33 प्रतिशत भारतीयों के ही हैं. यह प्रतिशत किसी भी अन्य देशों के प्रवासी समूहों से अधिक है.
बदल रही दीवाली की चमक
समय बीतता है तो बदलाव साथ-साथ चलते हैं. बदलाव जरूरी हैं, बदलाव अच्छे हैं, इस वर्ष कोरोना वायरस महामारी की वजह से भी सार्वजनिक समारोह और पर्व त्योहारों में बदलाव देखा जा रहा है. एक प्रकार से कोविड 19 के बाद समाज बदल रहा है, सोच बदल रही है, साथ-साथ रीति-रिवाज और त्योहार भी. दीपावली भी अब पहले जैसी कहां रही. कितना कुछ बदल गया. बीते कुछ वर्षों में दीवाली की रौनक बढ़ गई, पटाखों का शोर बढ़ गया पर बहुत कुछ ऐसा था जो बीते सालों में कहीं खो गया. क्या ले गए बीते दो दशक हमारी दीवाली से?
'रुद्रम' उड़ाएगी दुश्मन की रक्षा प्रणाली की धज्जियां
रुद्रम की लम्बाई करीब साढ़े पांच मीटर और वजन 140 किलोग्राम है और इसमें सॉलिट रॉकेट मोटर लगी है. यह 100 से 250 किलोमीटर की रेंज में किसी भी टारगेट को उड़ा सकती है. यह विमानों में तैनात की जाने वाली पहली ऐसी स्वदेशी मिसाइल है, जिसे किसी भी ऊंचाई से दागा जा सकता है. इस मिसाइल को 500 मीटर की ऊंचाई से लेकर 15 किलोमीटर तक की ऊंचाई से लांच किया जा सकता है और इसकी बेहद तेज रफ्तार इसे युद्ध के मैदान में एक अजेय योद्धा बनाती है. यह 250 किलोमीटर तक की रेंज में हर ऐसी वस्तु को निशाना बना सकती है, जिससे रेडिएशन निकल रहा हो.
गूगल के खिलाफ अमेरिका में मुकदमा
दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल के खिलाफ मुकदमा अमेरिकी न्याय विभाग और 11 अलग-अलग अमेरिकी राज्यों द्वारा देश के एंटीट्रस्ट कानून के कथित उल्लंघन के मामले में दायर किया गया है.
एक युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध
हमने देख लिया है कि सिर्फ अदालती आदेशों के भरोसे हम प्रदूषण की समस्या से नहीं लड़ सकते. तभी तो इस मुद्दे पर हर साल हो-हल्ला होता है. इसके बावजूद भी ये समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. मात्र पराली इस समस्या की जड़ नहीं है. फैक्ट्रिया, वाहन और उद्योग जहरीले हवा के लिए दोषी है. इन सभी को एक फ्रेम में देखकर हमें सभी के लिए सरल नियम लागू करने होंगे.इसके साथ-साथ हम सभी को स्वयं जागरूक होने की जरूरत है. तभी हम प्रदूषण के विरुद्ध इस युद्ध को जीत पाएंगे.
अपने ही डूबाएंगे योगी की नैया!
हाथरस कांड के बाद बलिया गोलीकांड ने तो वैसे ही योगी सरकार को कठघरे में ला दिया था लेकिन बलिया गोलीकांड के मुख्य आरोपी धीरेद्र प्रताप सिंह के लिए सत्ताधारी पार्टी का विधायक सुरेंद्र सिंह राजनीति छोड़ने और आमरण अनशन करने की धमकी दे रहे हों और उनकी हर दलील के पीछे सिर्फ और सिर्फ जातीय आधार हो? तो स्वाभाविक है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नैय्या दूसरे नहीं बल्कि अपने ही डूबने की तैयारी में लगे हैं.
खत्म हो शिक्षा के नाम पर धर्म के प्रचार की छूट
यह सवाल अपने आप में आज के दिन बेहद महत्वपूर्ण है कि क्या भारत में शिक्षा के नाम पर धर्म प्रचार की अनुमति जारी रहनी चाहिए? किसे नहीं पता कि धर्म प्रचार के कारण हमारे अपने देश में और पूरे विश्व में करोड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं और रोज ही मारे जा रहे हैं.
बिहार में ई बा...
बॉलीवुड स्टार मनोज बाजपेयी द्वारा भोजपुरी रैप मुबंई में का बा' ने जहां रिकार्ड लोकप्रियता हासिल की, वहीं इसकी पैरोडी 'बिहार में का बा' बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी चर्चित रहा और इसकी गायिका नेहा ठाकुर भी लोकप्रिय हो गई. वास्तव में इन दोनों ही गानों के केंद्र में तो बिहार ही है. लेकिन ऐसे समय में जब सूबे में विधानसभा चुनाव हो तो फिर वह सारे मुद्दे जो इन गानों के जरिये उठाये गये हैं लोगों को अपील तो करते हैं और ये चुनाव में अपनी भूमिका भी निभा सकते हैं. इन सबके बीच बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर क्या हो रहा हैं और इसकी परिणती किस रूप में हो सकती है. ऐसे में 'बिहार में का बा' को 'बिहार में ई बा' की तर्ज पर भी देखा जा सकता है. गली-चौराहों से लेकर गांव-गांव में लाउंडस्पीकर घूप रहे हैं और हर दल गानों के जरिये अपनी बात-मुद्दों से वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहा है. यह परपंरा कोई नई नहीं है. चुनावों में प्रचार का यह एक सुगम और लोकप्रिय साधन रहा है.
मुद्दे बोल मुद्दे गोल
मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनावों की कहानी भी कुछ अलग नहीं है. जब से कमलनाथ की सवा साल वाली कांग्रेस सरकार गिरी है तभी से किसानों की कर्जमाफी, बिजली और भ्रष्टाचार पर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां उलझ रही थीं. लेकिन चुनावों की तिथि की घोषणा के बाद इन मुद्दों के साथ-साथ जनहित की तमाम बातें पृष्ठभूमि में लुप्त होती गई और एक-दूसरे के नेताओं पर कीचड़ उछाल्लू बातें लाइम लाइट में आने लगी.
वामपंथी फरेब को टोने में डूबी कांग्रेस !
वामपंथ से कांग्रेस की नजदीकियां नई नहीं हैं. विचारधारा के स्तर पर सर्वथा पृथक होते हुए भी नेहरूगांधी परिवार का वामपंथ प्रेम सर्वविदित है. आज नेपाल में वामपंथी सरकार के चलते हम दोनों देशों के बीच रिश्तों के जिस संकट का सामना कर रहे हैं, उसकी जड़ें कहीं न कहीं भारत और कांग्रेस तक पहुंचती हैं.
हाथरस कांड अनासुलझे सवाल
अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में भले ही पारा गिरा महसूस हो रहा हो, लेकिन केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का सियासी पारा हाथरस कांड के बहाने चढ़ा हुआ है. सवाल सरकार, पुलिस, प्रशासन, मीडिया के साथ-साथ विपक्ष और पीड़िता के भाई को लेकर भी उठ रहे हैं. पूरे मामले की पड़ताल करती रिपोर्ट...
युवराज की कब होगी ताजपोशी ?
तृणमूल सुप्रीमो और राज्य की मुरव्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी युवराज के रूप में अपनी पहचान रखते हैं. दूसरी ओर खेल प्रेमी बंगाल की जनता के बीच भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली की ख्याति महाराज के रूप में है, दीगर बात यह भी है कि महाराज और युवराज दोनों ही मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के तौर पर चर्चा में है.
सशस्त्र बलों में महिलाएं आकाश छूते गुलाबी पंख
इजराइल, जर्मनी, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में युद्धक भूमिकाओं में महिला सैनिकों के उदाहरण हैं.हमारे यहां यह लैंगिक समानता पेशेवर मानकों की स्थापना और बिना किसी पूर्वाग्रह के उनका पालन करके हासिल की जा सकती है. यदि भारत में महिलाओं की कार्यबल की भागीदारी को इसकी पूरी क्षमता का एहसास हो जाता है तो वह दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया में भारतीय महिलाओं का डंका गूंजेगा.
सब बरी
एक ऐसी घटना, जो घटी. देश-दुनिया ने देखा लेकिन उस घटना के लिए जिम्मेदार कौन?
राहुल गांधी के लिए 'बिहार में का बा'
राहुल गांधी को ताजा हाथरस और किसान आंदोलन में तो कुछ हाथ लगा नहीं, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव से उन्होंने उम्मीदें लगा रखी है, स्वाभाविक है कि बिहार में राहुल के साथ बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी सक्रिय रहेगी और चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगी लेकिन देखना होगा कि राहुल गांधी के लिए वास्तव में बिहार में का बा'?
युवा रहें ललकार...हमको दो रोजगार
हरियाणा के युवाओं ने काले कपड़े पहन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को बेरोजगारी दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया और मांग कि पिछले दस सालों से पेंडिंग हरियाणा की सभी भर्तियों के परिणाम जारी कर योग्य युवाओं को नौकरी दी जाये. हरियाणा से उठा बेरोजगार युवाओं का इतना बड़ा आंदोलन आज तक के इतिहास में सबसे बड़ा आंदोलन रहा जो किसी भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर था.
मृतकों के नाम पर बैंक खाता खोलने का घोटाला
हाल में गुजरात के स्थानीय मीडिया में राज्य के बनासकांठा जिले के बालुंदरा गांव में मनरेगा से जुड़े कथित घोटाले की खबरें छाई रहीं.
अब पुरुष आयोग के गठन की दरकार!
आज पूरी दुनिया जहां कोरोना महामारी के चलते परेशान है,वही इसके चलते महिलाओं को दोहरा प्रभाव झेलना पड़ रहा है, एक तो कोरोना महामारी के चलते बेरोजगारी और दूसरा घरेलू हिंसा. लेकिन ध्यातव्य है कि जहां महिलाओं की समस्याओं को रखा जाता हैं वहां पुरुषों को किनारे करना ज्यादा मुनासिब समझा जाता है.
अब आदिवासी किसानों को मिलेगा सिंचाई के लिए पानी
छत्तीसगढ़ बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना
हाथरस पर हल्ला करने वाले कौन
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित कन्या के साथ बलात्कार और हत्या से सारा देश गुस्से में है. यह स्वाभाविक ही है. अब उत्तर प्रदेश सरकार से यही अपेक्षा की जाती है कि वह पकड़े गए आरोपियों को वही सजा दिलवाएगी जो निर्भया के दोषियों को मिली थी. लेकिन, इस जघन्य कृत्य में भी कुछ लोग जाति खोजने से बाज नहीं आए. यह वास्तव में दुखद है. ये अपने को दलितों का शुभचिंतक मानते हैं. इनमें कुछ राजनीतिक दल और गुजरे जमाने के सरकारी बाबू भी शामिल हैं. ये कभी इन तथ्यों को देश के सामने नहीं लाते कि कुछ साल पहले ही एक दलित लड़की यूपीएससी की परीक्षा में भी टॉपर रही थी, युवराज वाल्मिकी जैसे दलित भारत की हॉकी टीम से खेल रहे हैं, देश भर में दलित डॉक्टर, इंजीनियर और जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में सफल भी हो रहे हैं. देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी भी दलित समाज से ही आते हैं.
अब भी है बिहार की राजनीति में लालू यादव का दबदबा
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसकी गहमागहमी भी तेज हो गई है.कोरोनाकाल की वजह से इस बार चुनाव का परिदृश्य थोड़ा अलग होगा, वर्जुअल रैली का सिलसिला शुरू हो चुका है.
अब सशक्त होंगे किसान!
भारत एक कृषि प्रधान देश है,और विश्व में भारत कृषि के क्षेत्र में एक अहम महत्व रखता है.यहाँ के किसान सिर्फ अपना ही पेट नहीं भरते बल्कि अपने देश का भी पेट भरते हैं, निस्वार्थ भाव से अपने कामों को करते जाते हैं उसे यह भी नहीं मालूम होता कि उसे सही कीमत मिल पाएगा या फिर नहीं. वे आगे बढ़ते ही जाता है फसल उगाते चला जाता है.
नफरत की आग में झुलसा दक्षिण राजस्थान
विश्व के सबसे सुंदर शहरों में शुमार राजस्थान के उदयपुर के निकट एक छोटे से शहर सलूंबर में सोनार माता नामक एक क्षेत्रीय तीर्थ स्थल पर गत 1 सितंबर को जब मंदिर की ध्वजा (ध्वज) को लेकर विवाद हुआ तो मानो पूरे क्षेत्र में अशांति का माहौल पैदा हो गया हालांकि कहीं भी हिंसक घटनाएं नहीं हुई लेकिन सोनार माता पहाड़ी पर हुई घटना के विरोध में कई संगठनों ने विभिन्न उपखंड मुख्यालयों पर विरोध स्वरूप राज्यपाल के नाम भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) पर वैधानिक कार्यवाही करने के ज्ञापन सौंपे.
अमेरिकी राजनीति का भारतीय चेहरा
कमला हैरिस... भारतीय मूल की अमेरिकी सीनेटर और संभवतः अमेरिका की अगली उपराष्ट्रपति. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 की गहमागहमी के बीच जिस एक कैंडिडेट की इन दिनों एशिया से लेकर अफ्रीका और कैरिबियन देशों तक चर्चा हो रही है, वो हैं कमला हैरिस. इसके कारण भी कई हैं.
निजीकरण समस्या या समाधान
वित्त वर्ष 2020-21 की स्थिति को देख कर ऐसा लग सकता है कि सरकार निजीकरण को हर समस्या का समाधान मान बैठी है. वास्तव में, अगर हम पूर्वाग्रह और दलगत विचार से ऊपर उठ कर सोचेंगे तो यही जवाब मिलेगा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निजीकरण ही अधिकतर समस्याओं की दवा है.
पश्चिम-बंगाल जारी है राजनीतिक हत्याओं का दौर
पश्चिम बंगाल को देश की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है. कला व संस्कृति इसके कण-कण में बसी है लेकिन इसके अलावा भी इसकी एक पहचान रही है.
रुठे पड़ोसी
पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से भारत के संबंध कभी मधूर नहीं रहे. इसके कुछ मूल कारण है. लेकिन बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार और चीन से संबंधों में वह गर्मजोशी नहीं रही जो कि दशक भर पहले रहा करती थी.
सियासी बुलडोजर का साइड इफेक्ट
सत्ता की हनक ऐसी होती है कि विरोध के स्वर को वह सहन नहीं कर पाती. इस हनक की सनक में वह ऐसा कुछ कर जाती है कि उसके साइड इफेक्ट उसे लंबे समय तक सालते रहते हैं.
अर्थ 'अ'व्यवस्था
कोविड 19 के बाद तो मानों देश-दुनिया थम सी गई. स्वाभाविक है कि ऐसे हालात में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था हिचकोले खाने लगी है लेकिन चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में नकारात्मक रूप से 23.9 फीसदी की गिरावट देखी गई.क्या यह केवल कोविड19 से उपजे हालात की वजह से हैं या फिर इसके अन्य कारण भी है. इन्हीं कारणों की तलाश करती यह रिपोर्ट
अफसाने में फंसा मीडिया
आप चाहे अखबार उठा लें या फिर रिमोट पर उंगलियां फिराते हुए किसी खबरिया चैनल पर चले जाएं, आपको हर तरफ अगल-अलग शैली में अफसाने पढ़ने या सुनने-देखने को मिलेंगे.