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भारत के कौशल विकास को औद्योगिक संस्थानों से जोड़ने की चुनौतियां
कोरोना महामारी से उपजे संकट को भारत में कौशलीकरण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के अवसर के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। कौशल प्रशिक्षण के अंतराल को कम करने के लिए प्रमुख कदम हैं जैसे आरंभ में प्रशिक्षु 1-3 साल की अवधि के लिए नौकरी के साथ-साथ कौशल भी करते हैं। इसके लिए सरकार राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना के माध्यम से इसका समर्थन करती है और 25 प्रतिशत वजीफा देती है। ऐसे अप्रैटिसशिप कार्यक्रमों को प्रशिक्षुता पखवाड़ा जैसे जागरूकता अभियानों के माध्यम से मजबूत किया जाना चाहिए।
श्रीराम लला विराजमान
5 अगस्त 2020 की यह तिथि ऐतिहासिक हो गयी और जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर का भूमि पूजन के साथ ही कार्यारम्भ हुआ। विभिन्न मतों के 136 धर्माचार्यों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूमि पूजन कर मंदिर निर्माण का शंखनाद किया। मंदिर निर्माण प्रारम्भ होने की इस शुभ बेला पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कार्यक्रम स्थल पर मौजूद सभी भावुक हो गये थे।
क्या अब मंदिर राजनीति नया मोड़ लेगी
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी पर्याप्त संकेत दिए। उन्होंने कहा कि राम समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं। वे परिवर्तन और आधुनिकता के पक्षधर हैं। उन्हीं के आदर्शों के साथ भारत आगे बढ़ रहा है। विपक्ष और खासकर कांग्रेस ने जो प्रतिक्रियाएं दी हैं, वे मंदिर निर्माण और उससे जुड़े भूमि पूजन की पक्षधर रहीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी दोनों ने लगभग एक जैसी बात कही है। श्रीमती गांधी ने दो दिन पहले एक लम्बे बयान में कहा था ‘राम सब में हैं, राम सबके साथ हैं। भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने।
आधुनिक विश्व में वैज्ञानिक
मनुष्य व्यक्तित्व में पदार्थ का भी हिस्सा है। इसकी समझ के लिए विज्ञान पर्याप्त है। यह यथार्थ सत्य है लेकिन जीवन में सत्य के साथ शिव और सौन्दर्य भी है और सौन्दर्य पदार्थ नहीं है। सौन्दर्य का वैज्ञानिक विवेचन नहीं हो सकता। उसे देखकर गाकर आनंदित हुआ जा सकता है। सौन्दर्य रसपूर्ण भी होता है लेकिन इस सौन्दर्य का रस भी पदार्थ नहीं है इसलिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हम सौन्दर्य को खारिज भी कर सकते हैं। सौन्दर्य और उसका आनंद वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध नहीं किया जा सकता। विज्ञान प्रयोग आधारित सत्य का ही विश्वासी है।
योगी के रूप में भाजपा को मिला नया'युवा-हिन्दू हृदय सम्राट'
मुख्यमंत्री बनने के बाद यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि राजधर्म का निर्वहन करते उनके हिन्दुत्व की धार में कुछ कमी दिखाई देगी, लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने विधानसभा में यह कहकर लोगों को चौंका दिया कि वह ईद नहीं मनाते', लेकिन ईद मनाने वालों को पूरी सुरक्षा व सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि वह हिन्दुत्व के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे, लेकिन वह अपना राजधर्म भी निभाने में पीछे नहीं हटेंगे। श्री योगी ने आशानुसार मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को प्राथमिकता दी।
नई शिक्षा नीति-बेड़ापार या बंटाधार
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर केन्द्र सरकार ने जो नई शिक्षा नीति सार्वजनिक की है वह है क्या? दरअसल, पूर्व इसरो प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया था, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी मंजूरी दी। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति में पांचवीं क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है। इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी।
या वैक्सीन तेरा सहारा!
भारत में भी वैज्ञानिक पूरी शिद्दत से शोध में जुटे हुए हैं। दर्जनों क्लीनिकल ट्रायल हो रहे हैं और कुछ देशों में ये ट्रायल दूसरे फेज में पहुंच भी चुके हैं। काफी को उम्मीद है कि साल के अंत तक एक वैक्सीन तैयार हो सकती है लेकिन वैक्सीन को लेकर तमाम सवाल भी हैं जिनके उत्तर आने में अभी बहुत समय लगने वाला है। वहीं बाजार में आने के बाद यह वैक्सीन किसे पहले उपलब्ध होगी और किसे बाद में, इसे लेकर भी चर्चायें और आशंकायें समान रूप से हैं। इतना तो तय है कि वैक्सीन के सफल प्रयोग के बाद आमधारणा यह बन जायेगी।
सृजनात्मकता, डिजिटलीकरण और बच्चे
सर्वे में पाया गया कि 65 प्रतिशत बच्चे लॉकडाउन के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आदी बन गए हैं और 50 प्रतिशत बच्चे तो आधे घंटे के लिए भी इन उपकरणों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इस लत से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बच्चे इनके प्रयोग से ज्यादा जिद्दी और चिड़चिड़े हो गए हैं। उनकी भाषिक कुशलता, आलोचनात्मक शक्ति और विश्लेषणात्मक क्षमता तेजी से घटी है। दो तिहाई अभिभावकों ने माना कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने बच्चों के जीवनव्यवहार में भारी बदलाव देखे हैं।
गर्मी में नहीं दिखी आइपीएल की सरगर्मी
विश्व बैडमिंटन महासंघ ने कोरोना वायरस के कारण थॉमस एंड उबेर कप को स्थगित कर दिया। यह टूर्नामेंट 16 से 24 मई के बीच खेला जाना था। हॉकी प्रो लीग 17 मई तक स्थगित। अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने प्रो लीग को भी स्थगित कर दिया है। एफआइएच ने बयान में लिखा, कोविड-19 को लेकर हालिया स्थिति और इसे लेकर वैश्विक स्तर पर सरकारों द्वारा की गई प्रतिक्रिया के कारण एफआईएच ने अपने सभी साथी राष्ट्रीय संघों के साथ मिलकर यह फैसला किया है कि एफआईएच हॉकी प्रो लीग के स्थगन को बढ़ा दिया गया है।
कोरोना महामारी से मानवता व्यथित
प्रशान्त चित्त उर्वर होता है। ऐसे चित्त में मधुप्रीति उगती है। यहीं मधुमयता की गाढ़ी अनुभूति मिलती है। कोई कह सकता है कि शान्ति एक अमूर्त विचार है। एक कल्पना या धारणा। मनोविज्ञान की दृष्टि में चित्त की एक विशेष दशा- स्टेट आफ माइंड का नाम शांति है। शांति किसी भी पदार्थ या वस्तु से अधिक मूल्यवान है। शान्ति सकारात्मक स्थिति है। अशान्ति का न होना शान्ति नहीं है। अशान्ति भिन्न चित्तदशा है। अशान्त लोग अपने प्रिय भौतिक पदार्थ और वस्तुएं भी तोड़ने लगते हैं। वे अपना माथा भी पीटते हैं। प्रशांत लोग कुर्सी, कप या मेज को भी प्रीति प्यार से सहलाते हैं, वस्तुएं तब मित्र या जीवंत प्राणी होती हैं।
ड्रैगन की नापाक हरकतें और भारत की जवाबी कार्रवाई की रणनीति
पूर्वी लद्दाख में अभी तक तीन डिवीजन थीं। इस चौथी डिवीजन से सेना की ताकत और बढ़ जाएगी। भारतीय प्रधानमंत्री के नीमू (लेह) दौरे के दौरान ही डिवीजन के कई अफसरों और जवानों ने नई जिम्मेदारी संभाल ली है। 2008 में जिस चीन ने भारत के साथ सैन्य विश्वास निर्माण बहाली के लिए हैंड इन हैंड मिलिट्री एक्सरसाइज की शुरुआत की थी, उसी चीन ने 2020 में हैंड इन हैंड टसल या कॉन्फ्लिक्ट के जरिए भारत के एक कर्नल सहित 20 जवानों की ही हत्या नहीं कर दी।
क्या है भारत में भूकम्पीय खतरे की हकीकत
हाल ही में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में दर्ज सभी 13 भूकंप मध्यम से कम तीव्रता के क्षणिक भूकंप थे हालांकि इस पर वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले कुछ महीनों में दिल्ली में कोई असामान्य भूकंपीय गतिविधि नहीं हुई है। दिल्ली में नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार दिल्ली में ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है, जिसे असामान्य या असाधरण कहा जा सकता है। यदि आप दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों की भूकंप की बारम्बारता को देखें तो आप पायेंगे कि यह जयपुर, अजमेर, माउन्ट आबू और अरावली तक बढ़ता है।
आत्मनिर्भर बनता उत्तर प्रदेश
देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में भी प्रवासी कामगारों और श्रमिकों की वापसी लाखों की संख्या में हुई। ऐसे में यह चुनौती सामने आयी कि इन प्रवासी कामगारों को रोजगार कैसे और कहां सुलभ कराया जाये। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम ने कोरोना वायरस के इस भयावह हालात की गंभीरता को समझा। उन्होंने समझा कि इतने बड़े-बड़े देशों की क्या हालत हो रही है। यह देखते हुए उन्होंने और उनकी सरकार ने युद्धस्तर पर काम किया। क्वॉरंटीन सेंटर हो, आइसोलेशन की सुविधा हो, इसके निर्माण के लिए पूरी ताकत झोंक दी।
संसद की भूमिका पर उठते सवाल
लोकसभा के नियमों के अनुसार सदन के नेता' से आशय प्रधानमंत्री से है, यदि वह लोकसभा का सदस्य हो। इसी प्रकार राज्यसभा में सदन का नेता प्रधानमंत्री द्वारा नामित कोई ऐसा मंत्री होता है जो राज्यसभा का सदस्य हो। संसद के किसी सदन में उसकी कुल संख्या से कम से कम 10 प्रतिशत सीटें हासिल करने वाली सबसे बडी विपक्षी पार्टी का नेता, सदन में विपक्ष का नेता कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य सरकार की नीतियों की रचनात्मक आलोचना करना तथा वैकल्पिक सरकार का गठन करता है। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता को वर्ष 1977 में वैधनिक दर्जा प्रदान किया गया। विपक्ष के नेता को कैबिनेट मंत्री के समकक्ष वेतन, भत्ते तथा सुविधाएं उपलब्ध हैं।
यूपी में राहुल की नाकामयाबी के दाग धोती प्रियंका
पिछले 30-32 वर्षों से कांग्रेसी सड़क पर संघर्ष करते दिखते ही कहां थे। चाटुकारिता के बल पर लोग पार्टी में बड़े-बड़े पदों पर आसानी हो जाया करते थे, जिन्होंने पार्टी का बेड़ा गर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उत्तर प्रदेश से राहुल गांधी की 'विदाई' और प्रियंका की 'इंट्री' कांग्रेस के लिए शुभ मानी जा रही है। पार्टी का बदला मिजाज देखकर कांग्रेसी विचारधारा के वह लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं, जो वर्षों से यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि एक न एक दिन प्रदेश में कांग्रेस पुरानी पहचान हासिल कर लेगी। प्रियंका जिस तरह से मिशन उत्तर प्रदेश को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है, उसको देखते हुए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
भारतीय पुलिस, लोकतंत्र और सिविल सोसाइटी
भारतीय सिविल सोसाइटी ने अपना कर्तव्य इस मामले में बखूबी पूरा किया। दूसरी घटना याद कीजिए केरल में एक हथिनी को विस्फोटक खिला देने से मौत वाली। हमने देखा इसका भी बहुत विरोध हुआ। बल्कि काफी कलात्मक तरीके के मीम वगैरह बनाकर सोशल मीडिया में चलाए गए। हालांकि इस बारे में कुछ लोगों का कहना था कि इस घटना को तूल देने के पीछे केरल सरकार को कोरोना से निपटने में मिल रही प्रशंसा को धूमिल करने की मंशा थी लेकिन सच में यह घटना भी बेहद अमानवीय थी जिसका विरोध बेहद जरूरी था। तीसरी घटना याद कीजिए सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या की, हमने देखा कि सिविल सोसाइटी को इस घटना ने भी काफी उद्वेलित किया।
राज्यसभाः बहुमत से 22 कदम दूर भाजपा
आठ राज्यों में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा को आठ कांग्रेस तथा वाईएसआर कांग्रेस को चार-चार सीटों पर जीत हासिल हुई। जबकि एक सीट कांग्रेस के सहयोगी झामुमो के खाते में गयी। राज्यसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब पार्टियों के नफे-नुकसान का आकलन किया जा रहा है। यदि कुल 24 सीटों की बात की जाये तो राज्यसभा में एनडीए 90 से बढ़कर 101 तथा कांग्रेस और यूपीए घटकर 65 हो गयी है। वहीं यदि 19 सीटों का परिणाम देखें तो यूपीए फायदे में दिख रही है।
कोरोना के बारे में कुछ चिंतनीय पहलू
आजकल कोरोना के जन्मस्थान को लेकर भारी विवाद है। रूस, चीन, अमेरिका के ऊपर उंगलियां उठ रही है। कोई प्रकृतिजन्य मान रहा है तो कोई मानव का कारस्तानी मान रहा है। इस विवाद के विस्फोट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी हिलाकर रख दिया है।
उत्तर पूर्वी भारत में नृजातीय पहचान बचाने की कवायद
केंद्र सरकार और त्रिपुरा सरकार का आपसी ताल मेल वर्तमान समय में अच्छा है, इसलिए मिजो नेतृत्व इस मुद्दे को लेकर थोड़ा सशंकित है। अभी एक हफ्ते पूर्व ही उत्तरी त्रिपुरा स्थित गैर सरकारी संगठन मिजो कन्वेंशन ने जैपुई पहाड़ियों और उसके आस पास के क्षेत्रों में ब्र परिवारों को न बसने देने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। ऐसे में मिजोरम और त्रिपुरा सरकारें क्या करती हैं इसे देखना बाकी है लेकिन इस बीच 37 हजार ब्रू जनजाति परिवारों का कुशल विस्थापन एक मानवीय मांग हैं जिसे दोनों राज्य सरकारों को सही दिशा देना है। दरअसल मिजोरम की हाल की इस मांग के पीछे उत्तर पूर्वी भारत में ऐतिहासिक ब्रू- -रियांग समझौते की बातों का प्रभाव है।
इक्कीसवीं सदी की भारत की यात्रा-एक पृष्ठभूमि
60 के दशक के शीतयुद्ध के पर्व में अफ्रीका के देशों के प्रति उपनिवेशवादियों या पूर्व उपनिवेशवादियों का रहा। उससे उपरोक्त स्थापना की पुष्टि होती है। वह स्थितिगति मध्य और दक्षिणी अमेरिकी देशों की हुई। 70 के दशक में जो अराजकता पूर्वी और दक्षिण एशिया में फैली उसके पीछे भी देसी-विदेशी न्यस्त स्वार्थी तत्वों का हाथ है। कई कठपुतली शासकों को इन साम्राज्यवादियों के द्वारा बैठाया गया, जैसे ईरान। उनके खिलाफ हुए विद्रोहों में उनकों बेरहमी से कुचला गया। अब ये अमीर देश परोक्ष साम्राज्यवादी शोषण के रास्ते पर चल पड़े। सैनिक शक्ति की बजाय धनशक्ति का एवं छलशक्ति का सहारा लिया जाने लगा।
कोविड-9 के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र अनुसार कोविड-19 महामारी से पहले भी मानसिक विषाद या अवसाद और चिन्ता या बेचैनी जैसी समस्याएं विश्व अर्थव्यवस्था को लगभग एक ट्रिलियन डॉलर के नुकसान के लिए जिम्मेदार थीं। दुनिया भर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन यानि अवसाद से पीड़ित हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों के आधे से ज्यादा मामले 14 वर्ष की आयु से शुरू होते हैं। 15 से 29 आयु वर्ग में युवाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है। संयुत्त राष्ट्र की रिपोर्ट में वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य और टिकाऊ विकास पर लान्सेट कमीशन' की उस चेतावनी का भी उल्लेख है।
वहीं बनने लगा मंदिर
पूर्व में श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने जिस मंदिर मॉडल को तैयार कराया और जिसे देश के संतों ने वेद मंत्रोंचारण कर अनुमोदित किया तथा जिसका चित्र करोड़ों घरों मे पूजित हो रहा हो, अब वह ही दो-तीन वर्षों में साक्षात स्वरूप ग्रहण करने जा रहा है। अभी शुरुआती छह माह परिसर को मंदिर निर्माण के अनुकूल बनाने में लगेंगे। शेष बचे पत्थरों की नक्काशी भी शीघ्र प्रारंभ होगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की अगली बैठक तक इस पर निर्णय होगा। मंदिर निर्माण का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया होता, परंतु देश में कोरोना महामारी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा। इसलिए स्थानीय स्तर पर मंदिर निर्माण की कड़ी में समतलीकरण का काम किया जा रहा है।
यूपी देगा हर हाथ को काम
लोबल महामारी कोरोना के दौर में
लोचशील अर्थव्यवस्था:वर्तमान समय की मांग
कोविड-19 महामारी ने लगभग सभी क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इस महामारी ने अर्थशास्त्र के कई स्थापित सिद्धांतों को चुनौती दी है। ये सिद्धांत पिछले कई वर्षों से सार्वजनिक नीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। वर्तमान की घटित कई घटनाओं ने यह जता दिया है कि अर्थशास्त्र के अब परम्परागत सिद्धांत अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए उतने उपयुक्त नहीं हैं, कोविड-19 महामारी ने तो इस बात की पुष्टि ही कर दी है। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से सामना करने के लिए अर्थव्यवस्था को अधिक लोचशील होना चाहिए लेकिन इसकी अभी नितांत कमी देखी जा रही है। लोचशील अर्थव्यवस्था का तात्पर्य उस अर्थव्यवस्था से है।
'इंटरनेट आफ थिंग्स
केरल सरकार द्वारा कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल हेतु
योगी सरकार ने हर क्षेत्र में सफलता के पूरे किये तीन वर्ष
सांप्रदायिक सौहार्द कायम करते हुए सभी जगह रंगों का त्योहार मनाया गया और पिछली तीन होली के त्योहार सकुशल मनाए जा चुके हैं। सीएए विरोध को लेकर दिल्ली में दंगा हुआ लेकिन उत्तर प्रदेश में उपद्रवी घरों में दुबके रहे। वजह थी, योगी का वह सुपरहिट फॉर्मूला, जिसमें न लाठी चली, न गोली, पर दंगाइयों को जख्म बहुत गहरे मिले। दरअसल दिल्ली से पहले लखनऊमें भी एक दिन जमकर उपद्रव हुआ था। दंगाइयों ने दिन भर खूब हिंसा, लूटपाट और आगजनी की थी। महिलाओं-बच्चों की ढाल के चलते पुलिस कुछ कर नहीं पाई। खैर, योगी जी ने नया रास्ता निकाला। वीडियो और फोटो से दंगाइयों की पहचान करवाई और शहर भर में इनकी तस्वीरों के होर्डिंग लगवा दिए। उपद्रवी की तस्वीरों के होर्डिंग लगे हुए सरकारी अमले ने नुकसान का आकलन किया और वसूली के नोटिस इनके घरों पर चस्पा करवा दिए।
जीना यहाँ मरना यहाँ इसके सिवा जाना कहाँ?
फिल्म बॉबी से एज ए हीरो फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाला यह अभिनेता कोई और नहीं सुपरस्टार ऋषि कपूर थे। ऋषि जी ने असल मायने में फिल्मी नायक नायिकाओं को मर्द-औरत से बदलकर लड़के-लड़की का रुतबा दिलाया था। दरअसल बॉबी बनने से पहले हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में जो हीरो हेरोइंस थे वे उम्रदराज ही हुआ करते थे। लेकिन राजकपूर ने ऋषि कपूर को लांच कर इस पैटर्न को तोड़ दिया था और अब फिल्मों में असल टीन जोड़ी बनने लगी थी। शरीर से गोल मटोल, बदन दूधिया, स्वेत रंग हाथों में गिटार लेकर जब ऋषि कपूर ने स्क्रीन पर गाना गया तो, दर्शकों को एक नया अनुभव मिला।
योगी सरकार ने अयोध्या के लिए खोला खजाना
पद संभालने के बाद से ही योगी ने अयोध्या का खास ख्याल रखा है। सुप्रीम कोर्ट से फैसला पक्ष में आने के बाद तो जैसे यूपी सरकार ने अयोध्या के लिए खजाना ही खोल दिया। देव दीपावली का पर्व तो अपनी छाप विदेश तक छोड़ रहा है।
प्रवासी मजदूरः देश की कमजोरी या देश की ताकत?
पढ़े लिखे जानकार लोगों के बुद्धिविलास की विषयवस्तु बन जाती है। इस कमजोर कड़ी की स्थितियों को जानना, समझना जरूरी है। तभी जमीनी जरूरते समझ में आयेंगी।
चारों दिशाओं में मौत का तांडव
वायरस का स्पाइक प्रोटीन रिसेप्टर से सहबद्ध होकर मानव कोशिका के सतह से अपने को जोड़ता है और अपने आनुवंशिक पदार्थ (नोबल कोरोना वायरस के संदर्भ में आरएनए) को मानव कोशिकाओं में छोड़ने लगता है। कोरोना वायरस जो सार्स (एसएआरएस-कोव) का भी कारण होता है, भी इसी एसीई2 रिसेप्टर का इस्तेमाल कोशिकाओं पर आक्रमण करने के लिए करता है। कोरोना वायरस इंसानों के फेफड़ों को संक्रमित करता है। इसक दो मूल लक्षण होते हैं- बुखार और सूखी खांसी। कई बार इसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में भी तकलीफ होती है। इस वायरस के कारण शरीर का तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।