दुनिया के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती जलवायु संकट की है
दुनिया के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती जलवायु संकट की है. जलवायु संकट के खेती पर पड़ रहे दुष्प्रभावों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो निकट भविष्य में भारी खाद्यान्न संकट होगा. मगर हमारी सरकार सामने खड़े इस संकट से कृषि को बचाने में बेपरवाह दिखाई दे रही है. पिछले एक दशक में देश में बाढ़, सूखा, अत्यधिक ठंड, कम समय में बहुत अधिक बारिश, गर्म हवाओं और तापमान वृद्धि जैसे कारणों से फसलें निरंतर प्रभावित हो रही हैं.
वैज्ञानिक अनुसंधान बता रहे हैं कि मौसम अब इसी तरह बदलता रहेगा. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट कहती है कि आगामी पंद्रह वर्षों में जलवायु संकट के कारण पैदावार में कमी की वजह से भारत के साढ़े चार करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन को मजबूर हो जाएंगे. अगले डेढ़ दशक में देश की धरती के तापमान में दो डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि तय मानी जा रही है. नतीजतन, मानसून की तीव्रता में दस फीसद तेजी आएगी. यानी कम समय में बहुत अधिक बारिश, पानी की बूंदों का आकार बड़ा होने, बादल फटने और आकाशीय बिजली गिरने की आवृत्ति बढ़ेगी.
जलवायु संकट के कुप्रभावों को वापस कर पाना संभव नहीं है, लेकिन उपाय के तौर पर प्रतिकूल परिस्थितियों में पैदावार के बचाव की कार्ययोजना तैयार की जा सकती है. पिछले पांच वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल, उत्तराखंड सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में आसमानी बिजली गिरने की घटनाओं में पंद्रह फीसद की दर से वृद्धि हुई है.
कम समय में अत्यधिक बारिश से बाढ़ के हालात पैदा हो रहे हैं. बारिश के बाद इन्हीं स्थानों पर लंबे सूखे के हालात बने हैं, वैज्ञानिक अनुमान के मुताबिक तापमान में दो डिग्री की वृद्धि से देश का गेहूं उत्पादन एक करोड़ टन कम हो जाएगा. कार्बन डाईआक्साइड की वृद्धि से फसलों में प्रोटीन सहित अन्य तत्वों की मात्रा कम होगी. पशुओं की प्रजनन क्षमता में कमी के साथ उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता में गिरावट दर्ज होगी.
Bu hikaye Gambhir Samachar dergisinin April 01, 2023 sayısından alınmıştır.
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क्या है हिन्दू फोबिया का कारण
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भारत में कैसे कम हो पाएंगे सड़क हादसे
आंकड़ों से पता चलता है कि देश में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक रोड एक्सीडेंट के मामले 2020 में 3,64,796 से बढ़कर 2021 में 4,03, 116 हो गए. मौतों में 16.8% बढ़ोतरी हुई है. 2020 में 1,33,201 और 2021 में 1,55,622 लोगों ने सड़क हादसे में अपनी जान गवाई है. साथ ही 2021 में प्रति हजार वाहनों की मौत दर 2020 में 0.45 से बढ़कर 2021 में 0.53 हो गई है. विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं तेज गति के कारण हुई हैं.
पश्चिमी यूपी में तेज होगी जाट वोट बैंक पर कब्जे की जंग
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी की मान्यता खत्म होने से छोटे चौधरी जयंत सिंह की सियासत पर ग्रहण लग गया है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने सहित कई सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी की राजनैतिक पारी पर यदि विश्राम लग जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
अब 'वायनाड' का क्या होगा?
केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सदस्य रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग इस सीट पर जल्द ही उपचुनाव करवा सकता है? जानकारों का कहना है कि उपचुनाव की घोषणा से पहले चुनाव आयोग हर कानूनी पहलू को देखेगा और राहुल गांधी के अगले कदम पर भी आयोग की नजर रहेगी. राहुल गांधी की ओर से जल्द ही ऊपरी अदालत में अपील की जा सकती है. वहीं, चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार राहुल के अयोग्य घोषित होने के बाद वायनाड सीट पर उपचुनाव कराने से पहले तमाम पहलुओं की समीक्षा की जाएगी. आयोग के सूत्रों के अनुसार पहले से तय गाइडलाइंस के अनुरूप जो नियम हैं, उनके तहत आयोग कार्रवाई करेगा. नियम के अनुसार, खाली सीट को 6 महीने के अंदर भरना होता है. सूत्रों के अनुसार, इस बार आयोग कोई फैसला लेने से पहले तमाम कानूनी पहलुओं और घटनाक्रमों की समीक्षा करेगा. दरअसल, इसी साल आयोग अपने ही कुछ फैसलों से कानूनी अड़चनों में फंसा रहा.
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