शेयर बाजारों के हिचकोले खाते सूचकांक, आमदनी के दवाब, बढ़ती महंगाई, निवेश के नए मौके, गिरता रुपया और आर्थिक सुस्ती ऐसी परेशानियां हैं जो ज्यादातर निवेशकों को सामान्यत: झेलनी ही पड़ती हैं. अक्सर निवेशकों को अच्छी तरह पता नहीं होता कि इन समस्याओं से कैसे निपटें ताकि अपने निवेश के मामले में दहशत में आकर वे कोई फैसला न ले बैठें निवेश उतना ही दिमाग में होता है जितना वित्तीय विश्लेषण में. आखिरकार ज्यादातर निवेशक लंबे वक्त में संपदा निर्माण और अपने निवेशों पर लाभदायक प्रतिफल हासिल करने की तलाश में रहते हैं.
तो निवेश क्या है? आप किसी से भी पूछें तो संभावना यही है कि आपको ऐसी परिभाषाएं मिलें जो सही हों पर जिन्हें समझना आसान न हो. निवेश के बारे में सबसे आम ढंग से ऐसे बताया जा सकता है कि यह धन लगाकर मुनाफा कमाना है. मुनाफा ब्याज या धन के मूल्य में बढ़ोतरी के तरीके से के हो सकता है. मगर ज्यादा गहराई में जाएं तो निवेश का मतलब मौजूदा ब्याज दरों, जीडीपी, आर्थिक नीतियों सरीखी जानकारियों का इस्तेमाल करके यह फैसला लेना है कि किसी वित्तीय साधन में कितना पैसा लगाएं ताकि बाद में उस वक्त उसका मूल्य बढ़े जब आपको बच्चे की पढ़ाई या अपनी सेवानिवृत्ति या किसी ऐसे ही ठोस नतीजे के लिए इसकी जरूरत हो.
निवेश की परेशानियों को हल करना न तो आसान है और न सीधा-सादा. निवेशकों के लिए यही अच्छा होगा कि वे निवेश के बारे में समस्या के रूप में नहीं बल्कि समस्या के निदान के रूप में सोचें. इस समस्या को सफलता से हल करने के लिए आपको एक नजरिया विकसित करना और निवेश से जुड़े कई पहलुओं को संभालना होता है. ऐसी लिखत या साधन हैं जिनमें उस वक्त निवेश कर सकते हैं जब ब्याज दरें बढ़ रही हों, ऐसे भी साधन हैं जिनमें आप बाजारों में गिरावट के वक्त निवेश कर सकते हैं, ऐसे संपत्ति वर्ग हैं जिनमें आप निवेश जोखिम को कम से कम रखने के इरादे से निवेश कर सकते हैं इत्यादि गैरजानकार निवेशक को इनमें से कई पहलू बेमेल मालूम दे सकते हैं.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin July 27, 2022 sayısından alınmıştır.
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