बांधवगढ़ नेशनल पार्क, मध्य प्रदेश
कभी रीवां के राजघराने का शिकारगाह रहे बांधवगढ़ का मध्य प्रदेश को 'टाइगर स्टेट' का दर्जा दिलाने में अहम योगदान है (यहां सिर्फ महामारी के दौरान 41 शावकों के पैदा होने की खबर मिली थी). राष्ट्रीय उद्यानों के लिए ट्रिपएडवाइजर ट्रैवलर्स 'चॉइस अवार्ड' सूची में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के अलावा भारत के एकमात्र अन्य राष्ट्रीय उद्यान के रूप में शामिल में बांधवगढ़ की जंगली पहाड़ियां और विशाल घास के मैदान तेंदुए, स्लॉथ भालू, जंगली कुत्तों सहित स्तनधारियों की लगभग 30 प्रजातियों की पनाहगाह हैं. गौर को यहां 2011 में फिर से बसाया गया था, और इसमें 250 से अधिक पक्षी की प्रजातियां हैं. बांधवगढ़ किला भी देखें, जिसे दो सहस्राब्दी पुराना कहा जाता है. इस उद्यान के उत्तरी भाग में बलुआ पत्थर की गुफाएं हैं, जिनमें ब्राह्मी शिलालेख हैं, जो पहली सदी ईसा पूर्व के हैं.
जरूर देखें
अपनी साझीदार को जान से मारने वाला विशाल जंगली मकड़ा. सुबह के वक्त इसके शानदार जाल पर अक्सर ओस की बूंदें चमकती नजर आती हैं
कब जाएं
अक्तूबर के बाद, जब गर्म, सूखा ग्रीष्मकाल और बारिश का मौसम पूरी तरह खत्म हो जाता है
केवलादेव घना नेशनल पार्क, राजस्थान
दिल्ली से महज दो सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पक्षियों के इस गढ़ ने दुनियाभर के पक्षीप्रेमियों को आकर्षित किया है. केवलादेव घना को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया और तीन साल बाद यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में दर्ज किया गया था. यह लगभग 380 स्थानीय और प्रवासी पक्षी प्रजातियों का घर है. इसमें इसके स्थायी निवासी शानदार सारस, जो छह फुट तक ऊंचे हो सकते हैं, (1990 के दशक तक साइबेरियन क्रेन यहां नियमित रूप से आते थे), पेंटेड स्टॉर्क, नाइटजार और ग्रे - बिल्ड टफ्टेड डक शामिल हैं. आमतौर पर माना जाता है कि बर्डवॉचिंग के लिए कभी-कभी बहुत ज्यादा धैर्य की जरूरत होती है, लेकिन यह बात यहां शायद ही सही साबित होती है. यहां पार्क परिसर के भीतर रिक्शा चलानेवाले भी अच्छे गाइड साबित होते हैं.
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Bu hikaye India Today Hindi dergisinin September 28, 2022 sayısından alınmıştır.
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