अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा तो नहीं हुई है, लेकिन अधिकांश कांग्रेस नेता मानते हैं। कि 17 अक्तूबर को होने वाले पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव में कम से कम दो उम्मीदवार होंगे- राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (कथित रूप से गांधी परिवार की ओर से समर्थित) और तिरुवनंतपुरम से पार्टी के लोकसभा सांसद शशि थरूर. बेशक, जैसा कि कांग्रेस से जुड़ी किसी भी चीज के साथ होता है, दोनों ही नेता मैदान में केवल तभी उतरेंगे जब पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अध्यक्ष पद नहीं लेने के अपने पुराने रुख पर अडिग रहेंगे.
सूत्रों की मानें तो कुछ और वरिष्ठ नेता भी चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं. जिन नामों की चर्चा हो रही है उनमें हरियाणा के पूर्व सीएम बी.एस. हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा और मनीष तिवारी के साथ कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया का भी नाम आ रहा है. संयोग से, हुड्डा, शर्मा और तिवारी उन 23 नेताओं के विद्रोही समूह (जी23) से ताल्लुक रखते हैं, जिन्होंने अगस्त 2020 में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक सुधार और उत्तरदायी तथा सुलभ नेतृत्व की मांग की थी.
राहुल के करीबी विश्वासपात्र इस बात पर जोर देते रहे कि राहुल उस पद पर दावा नहीं करेंगे, जिसे उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद छोड़ दिया था. उनके आलोचकों का कहना है कि गांधी परिवार पार्टी की चुनावी हार की जिम्मेदारी से बचते हुए छद्म तरीके से पर्दे के पीछे से पार्टी चलाना चाहता है. उनका कहना है कि इसी वजह से सोनिया ने परिवार के वफादार गहलोत से चुनाव लड़ने का अनुरोध से किया है. सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य का कहना है, "सिर्फ नाम बदल जाता है. असली ताकत परिवार के पास ही रहती है."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin October 05, 2022 sayısından alınmıştır.
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