जोमाफिया खौफ का पर्याय था वह जिंदगी को न डरा सका. 70 घंटे जिंदगी से लड़ा और हार गया. बांदा मंडलीय जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने 25 मार्च रात साढ़े दस बजे पेट दर्द की शिकायत की. सेहत में सुधार न होने पर अगले दिन 26 मार्च को तड़के चार बजे मुख्तार को बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के आइसीयू में भर्ती कराया गया. करीब 14 घंटे आइसीयू में इलाज चला. शाम सवा छह बजे मुख्तार की हालत ठीक होने का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज कर बांदा जेल भेज दिया. जेल पहुंचने के करीब 48 घंटे बाद 28 मार्च की शाम सवा सात बजे अंसारी की तबियत फिर खराब हुई. उसे फौरन जेल से बांदा मेडिकल कॉलेज भेजा गया. यहां रात सवा आठ बजे डॉक्टरों ने मुख्तार को मृत घोषित कर दिया.
उसकी मौत की सूचना देश-विदेश में आग की तरफ फैल गई. बांदा से करीब 400 किलोमीटर दूर गाजीपुर की मुहम्मदाबाद तहसील में यूसुफ बाजार से सटे मुख्तार के पुश्तैनी आवास 'फाटक' पर सरगर्मियां बढ़ गईं. उसकी मौत की सूचना मिलते ही रिश्तेदार और समर्थक रात नौ बजे से 'फाटक' पर जुटने लगे. अगले दिन 29 मार्च की दोपहर पांच डॉक्टरों के पैनल ने मुख्तार के शव का पोस्टमॉर्टम किया. इसके बाद रात करीब साढ़े आठ बजे भारी सुरक्षा के साथ मुख्तार का छोटा बेटा उमर अंसारी और बड़ी बहू निकहत शव वाहन के साथ गाजीपुर के लिए रवाना हुए. मुख्तार का शव 29 मार्च को आधी रात के बाद सवा एक बजे यूसुफपुर में पैतृक आवास 'फाटक' पर पहुंचा. इस दौरान गाजीपुर और आसपास के इलाकों से अंसारी परिवार के समर्थकों का यूसुफपुर पहुंचना लगातर जारी रहा. अगले दिन 30 मार्च की सुबह तक यूसुफपुर की तरफ आने वाली सभी सड़कें अंसारी परिवार के समर्थकों से पट चुकी थीं. परिजन सुबह 9 बजे शव लेकर 'फाटक' से निकले. जनाजा उठने से पहले बेटे उमर ने मुख्तार अंसारी की मूछों पर आखिरी बाद ताव दिया. जनाजे में भारी हुजूम के चलते चंद कदम दूर कालीबाग स्थित कब्रिस्तान जाने में करीब दो घंटे लग गए. कब्रिस्तान में करीब 24 घंटे पहले खोदकर तैयार की गई 7.6 फुट लंबी और 5 फुट गहरी कब्र में मुख्तार के शव को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. इस दौरान जुटे हजारों समर्थक मुख्तार अंसारी के नारे लगाते रहे.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin April 17, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin April 17, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"