भारतीय शतरंज के गढ़ चेन्नै के रहने वाले प्रज्ञानानंद ने राष्ट्रीय अंडर सात का खिताब जीता और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
शतरंज में विश्वनाथन आनंद के उत्तराधिकारी कहे जाने वाले प्रज्ञानानंद को लेकर खेल जगत में गजब का उत्साह है। मात्र 18 वर्ष का यह खिलाड़ी, जिसे प्यार से लोग प्राग कहकर पुकारते हैं, हाल ही में विश्व के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के साथ फिडे विश्व कप का फाइनल खेलकर आया है। प्राग ने इसी टूर्नामेंट में विश्व के नंबर 2 और नंबर 3 खिलाड़ी को भी हराया। छोटी उम्र, गंभीर भावभंगिमा, सामान्य हावभाव... जाहिर तौर पर प्राग को हल्के में लेकर ही प्रतिद्वंद्वी पहली और सबसे बड़ी गलती करते हैं। साढ़े चार साल की उम्र से शतरंज की चालें चल रहे प्राग की कहानी, इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि "पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं।" शतरंज के प्रति बचपन से रुझान रखने वाले प्राग के बारे में यह कहना निश्चित है कि सिर्फ प्रतिभा होने से ही लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। लक्ष्य पाना है, अपने संकल्प को साकार करना है, तो कड़ी मेहनत और समर्पण की दरकार होती है। और अपने कठिन लक्ष्य को पाने के लिए प्राग ने ऐसा ही किया। क्योंकि वह जानते थे कि मेहनत का कोई दूसरा कोई पर्याय नहीं होता है। लक्ष्य पर नजर, मेहनत और समर्पण यह तीनों ही गुण प्राग के सफर की महत्वपूर्ण कड़ी रहे हैं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 18, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 18, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
हिंदी सिनेमा में बलात्कार की संस्कृति
बलात्कार की संस्कृति को हिंदी फिल्मों ने लगातार वैधता दी है और उसे प्रचारित किया है
कहानी सूरमाओं की
पेरिस में भारत के शानदार प्रदर्शन से दिव्यांग एथलीटों की एक पूरी पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली
शेखपुर गुढ़ा की फूलन देवियां
शेखपुर गुढ़ा और बेहमई महज पचास किलोमीटर दूर स्थित दो गांव नहीं हैं, बल्कि चार दशक पहले फूलन देवी के साथ हुए अन्याय के दो अलहदा अफसाने हैं
महाशक्तियों के खेल में बांग्लादेश
बांग्लादेश का घटनाक्रम दक्षिण एशिया के भीतर शक्ति संतुलन और उसमें अमेरिका की भूमिका के संदर्भ में देखे जाने की जरूरत
तलछट से उभरे सितारे
फिल्मों में मामूली भूमिका पाने के लिए वर्षों कास्टिंग डायरेक्टरों के दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले अभिनेता आजकल मुंबई में पहचाने नाम बन गए हैं, उन्हें न सिर्फ फिल्में मिल रही हैं बल्कि छोटी और दमदार भूमिकाओं से उन्होंने अपना अलग दर्शक वर्ग भी बना लिया
"संघर्ष के दिन ज्यादा रचनात्मक थे"
फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लगभग सभी कलाकार आज बड़े नाम हो चुके हैं, लेकिन उसके जरिये एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले फैसल मलिक के लिए संघर्ष के दिन कुछ और साल तक जारी रहे। बॉलीवुड में करीब 22 साल गुजारने वाले फैसल से राजीव नयन चतुर्वेदी की खास बातचीत के संपादित अंश:
ग्लोबल मंच के लोकल सितारे
सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल का दौर खत्म होने और मल्टीप्लेक्स आने के संक्रमण काल में किसी ने भी गांव-कस्बे में रह रहे लोगों के मनोरंजन के बारे में नहीं सोचा, ओटीटी का दौर आया तो उसने स्टारडम से लेकर दर्शक संख्या तक सारे पैमाने तोड़ डाले
बलात्कार के तमाशबीन
उज्जैन में सरेराह दिनदहाड़े हुए बलात्कार पर लोगों का चुप रहना, उसे शूट कर के प्रसारित करना गंभीर सामाजिक बीमारी की ओर इशारा
कांग्रेस की चुनौती खेमेबाजी
पार्टी चुनाव दोतरफा होने के आसार से उत्साहित, बाकी सभी वजूद बचाने में मशगूल
भगवा कुनबे में बगावत
दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी और परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरण साधने के चक्कर में सत्तारूढ़ भाजपा कलह के चक्रव्यूह में फंसी