बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित विश्व यक्षमा दिवस पर राज्य के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के हाथों राष्ट्रीय यक्षमा उन्मूलन कार्यक्रम में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मानित हो चुके डॉ. शरण प्रयागराज में आयोजित आईएमए नेटकान 2022 में भी भाग ले चुके हैं। डॉ. शरण की उपलब्धियों को देखते हुए इन्हें आईएमए डॉ. ए के एन सिन्हा राष्ट्रीय अवॉर्ड से भी सम्मानित किया है। बिहार के मुजफ्फरपुर में जन्मे डॉ. आशुतोष की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई।
1971 में आशुतोष का नामांकन दरभंगा मेडिकल कॉलेज में हुआ और 1979 में उन्होंने एम.बी.बी.एस की डिग्री हासिल की। मेडिकल कॉलेज में उनकी मुलाकात सहपाठी जसवीर कौर ढिल्लन से हुई। वह बताते हैं, जसवीर से मेरी बढ़ती नज़दीकियां मेरी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुई और 1983 में हमने शादी कर ली। राज्य की जानी मानी गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. जसवीर कौर शरण कहती हैं, 1973 में मेरा नामांकन दरभंगा मेडिकल कॉलेज में हुआ। डॉ. शरण साल 1982-84 तक पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ख्याति प्राप्त चिकित्सक डॉ. नरेंद्र प्रसाद के अधीन रहकर जनरल सर्जरी में प्रशिक्षण लेने लगे। उधर डॉ. जसवीर ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज से एम.डी की डिग्री हासिल की। 1983 में डॉ. आशुतोष ने बतौर एस.डी.एम.ओ बेतिया के एम. जे. के अस्पताल में अपना योगदान दिया और स्टडी लीव लेकर 1982-84 में पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से पी.जी की और 1985 में मोतिहारी के टी.बी हॉस्पिटल में योगदान दिया।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin October 02, 2023 sayısından alınmıştır.
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