गांधी जयंती की अगली सुबह दिल्ली और आसपास के इलाकों में कोई चार दर्जन दरवाजों पर पुलिस ने औचक दस्तक दी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के कर्मचारी 3 अक्टूबर की सुबह छह से सात बजे के बीच जिन लोगों के घर से पहुंचे, उनकी उम्र 25 से 75 साल के बीच है। उनमें ज्यादातर पत्रकार हैं, कुछ स्वतंत्र लेखक और संस्कृतिकर्मी हैं, वैज्ञानिक और तकनीकविद हैं, नेता, शिक्षक, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, एक काटूर्निस्ट हैं और एक हास्य कलाकार भी हैं। उसी सुबह मुंबई से भी ऐसी खबर आई, फिर चार दिन बीतते-बीतते दिल्ली पुलिस केरल तक पहुंच गई। लिखने-पढ़ने वालों के ऊपर थोक भाव में मारे गए ये छापे अप्रत्याशित हैं, खासकर इसलिए क्योंकि पुलिस इसे एक ऐसी 'व्यापक आपराधिक साजिश' बता रही है। जिसके 'वृहद अंतरराष्ट्रीय आयाम' हैं।
'अंतरराष्ट्रीय आयाम' वाली एफआइआर
पुलिस के मुताबिक दिल्ली के लोधी रोड स्थित स्पेशल सेल के थाने में 17 अगस्त 2023 को दर्ज की गई एक एफआइआर के सिलसिले में ये छापे मारे गए। उक्त एफआइआर में गैर-कानूनी गतिविधि निवारक अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं 13/16/17/18/22सी और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धाराओं 153ए/120बी के अंतर्गत प्रबीर पुरकायस्थ, गौतम नवलखा और नेविल रॉय सिंघम नामक तीन व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया है और तहरीर में डेढ़ दर्जन और नामों का जिक्र है। गौतम नवलखा पहले से ही यलगार परिषद के केस में आरोपित और नजरबंद हैं जबकि रॉय सिंघम भारत में नहीं रहते, इसलिए उनके अलावा बाकी सभी के यहां छापा पड़ा है लेकिन प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती के अलावा किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। पुलिस ने सबके लैपटॉप और मोबाइल फोन जमा करा लिए थे। कुछ के सिम कार्ड लौटाए जा चुके हैं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin October 30, 2023 sayısından alınmıştır.
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