हिंदी सिनेमा के इतिहास में 2023 सेहत बहाली के नहीं, तूफानी वापसी के साल के तौर पर दर्ज होना चाहिए। मीडिया कंसल्टिंग फर्म ऑरमैक्स की रिपोर्ट दिखाती है कि 2020 और 2021 में तगड़ी मायूसी झेलने के बाद पिछले साल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 12,226 करोड़ रुपये रहा, जिसने 2019 के 10,948 करोड़ रुपये को पीछे छोड़ दिया। यह ऐसा पहला साल था जब आंकड़ा 12 करोड़ रुपये के पार पहुंचा, लेकिन यह रिकॉर्डतोड़ वापसी सभी के नसीब में नहीं रही। टॉप 4 फिल्में जवान, एनिमल, पठान और गदर 2 थीं। इससे यह नतीजा निकाला जाए कि दर्शकों ने सिनेमाहॉल का रुख किया तो सिर्फ रोमांस, मारधाड़, ऐक्शन और हिंसा से भरपूर फिल्में देखने के लिए।
दूसरी सूरत यह रही कि दिसंबर 2023 में मनोज बाजपेयी के अभिनय वाली जोरम (2023) 350 स्क्रीनों पर रिलीज हुई। अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों समेत फिल्म फेयर पुरस्कारों में वाहवाही बटोरने वाली देवाशीष मखीजा की यह फिल्म दर्शक नहीं बटोर सकी। मनोज बाजपेयी की नाराजगी झलकी जब उन्होंने मीडिया से कहा कि ‘‘फिल्म कम थियेटरों में रिलीज की गई थी लेकिन ज्यादातर लोग ऐसी फिल्मों में यकीन नहीं रखते और रखते भी हैं तो मुफ्त में देखना चाहते हैं।’’ कुछ ऐसा ही उन्होंने 2017 में भी कहा था कि ‘‘इंडिपेंडेंट सिनेमा को हराने वाले फिल्मकार नहीं, खुद दर्शक हैं। लोग ऐसी फिल्मों पर पैसे खर्च नहीं करना चाहते, काम पाइरेटेड डीवीडी से चलता है।’’
यानी पिछले छह साल में इस तरह की फिल्मों के लिए कुछ नहीं बदला जबकि मीडिया की दुनिया भरपूर बदल चुकी है। यहां इंडिपेंडेंट फिल्म से मतलब है उस तरह की फिल्में जो किसी बड़े बॉलीवुड स्टार, नामी स्टूडियो के बड़े बजट और फिल्म वितरण ढांचे के सहारे दर्शकों तक नहीं पहुंचतीं, बल्कि खास किस्म के कथानक और शिल्प के लिए पहचानी जाती हैं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin April 01, 2024 sayısından alınmıştır.
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