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ठीक बैंक के लॉकर की तरह इस बार दिल्ली की सत्ता की चाबी आगामी पांच साल के लिए दो अलग प्रांतों-उत्तर में बिहार के जनता दल युनाइटेड के नीतीश कुमार और दक्षिण में तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू के हाथों में रहेगी। भले ही जदयू और टीडीपी ने मिल कर 28 सीटें जीत कर एनडीए को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचाया हो, पर इस आंकड़े में नायडू की टीडीपी की भागीदारी ज्यादा है। टीडीपी के पास जदयू से चार सीट अधिक है।
इस बार एनडीए गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती नायडू और उनके जैसे अन्य दलों को साथ लेकर चलना है। जाहिर है, इसके चलते इस बार नायडू बड़ी जिम्मेदारी और ताकत के साथ आंध्र प्रदेश और दिल्ली में अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं। उन्होंने आंध्र में टीडीपी के पक्ष में फैसला आने के तुरंत बाद इस भूमिका का जिक्र भी किया। एक्स पर नायडू ने लिखा, "आंध्र प्रदेश के लोगों ने हमें एक मजबूत जनादेश दिया है। यह जनादेश हमारे गठबंधन और राज्य के लिए लोगों के विश्वास का प्रतिबिंब है। अपने लोगों के साथ मिलकर हम आंध्र प्रदेश का पुनर्निर्माण करेंगे और इसके गौरव को फिर से स्थापित करेंगे।"
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin June 24, 2024 sayısından alınmıştır.
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![दिल्ली से निकलती सियासत दिल्ली से निकलती सियासत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/-MA_6DNi31739535740400/1739535854348.jpg)
दिल्ली से निकलती सियासत
आम आदमी पार्टी के दिल्ली में चुनावी पराभव से क्या राष्ट्रीय राजनीति निकलेगी, आज सबसे मौजूं सवाल यही होना चाहिए
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अरविंद नहीं, कमल
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जंजीरों में लौटे आज के गिरमिटिया
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही अवैध आप्रवासियों को उनके देश भेजने का जो सिलसिला शुरू हुआ है, उसकी गूंज भारत की घरेलू राजनीति और संसद को हिला रही