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कुपवाड़ा का गांव मवार इस समय जश्न में है। आम चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन जैसे नेताओं को हराने वाले इंजीनियर राशिद मवार के ही हैं। उन्होंने दोनों नेताओं को जेल के भीतर से ही बारामूला में शिकस्त दे दी। राशिद 2019 से गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कैद हैं। राशिद ने एआइपी नाम से पार्टी बनाई थी लेकिन वे स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़े क्योंकि उनकी पार्टी पंजीकृत नहीं है।
चार जून को बारामूला में जब वोटों की गिनती शुरू हुई, तो राशिद बढ़त बनाते दिखे। अब्दुल्ला तब गोल्फ कोर्स में वर्जिश कर रहे थे। उन्होंने संवाददाताओं से अगले दौर की गिनती तक इंतजार करने को कहा,लेकिन राशिद की जीत का अंतर बढ़ता गया और उमर हार गए। कई लोग राशिद की जीत को उनकी लंबी कैद की रोशनी में देख रहे हैं। उनका मानना है कि यह उत्पीडि़तों की राजनीतिक जीत है, जो लगातार कश्मीर में अहम होता जा रहा है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 08, 2024 sayısından alınmıştır.
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![दिल्ली से निकलती सियासत दिल्ली से निकलती सियासत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/-MA_6DNi31739535740400/1739535854348.jpg)
दिल्ली से निकलती सियासत
आम आदमी पार्टी के दिल्ली में चुनावी पराभव से क्या राष्ट्रीय राजनीति निकलेगी, आज सबसे मौजूं सवाल यही होना चाहिए
![अरविंद नहीं, कमल अरविंद नहीं, कमल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/_T_pnHjaq1739535854031/1739536018749.jpg)
अरविंद नहीं, कमल
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![निराशा और विनाश के बीच निराशा और विनाश के बीच](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/tDGFYx2jb1739536472076/1739536625666.jpg)
निराशा और विनाश के बीच
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गेमिंग का नया युग
सरकारी समर्थन और बढ़ते करियर विकल्पों के कारण भारत में बढ़ रहा ऑनलाइन गेमिंग का बाजार, ठोस नीति की कमी और टैक्स से जुड़ी चिंताएं अब भी भारी
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पिछली महायुति सरकार ने मिड-डे मील में अंडा जोड़ा, तो इस सरकार ने हटा दिया
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अमन के दावों पर मौतें भारी
घाटी में पिछले दिनों सिलसिलेवार हुई उत्पीड़न और हत्या की घटनाओं ने उठाए अमन-चैन के केंद्र के दावे पर सवाल
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असल संदेश भविष्य की उस राजनीति का है जो मोदी की सियासत को चुनौती दे सके, अगर यह विचारधारा की लड़ाई की मुनादी है, तो फिर राहुल गांधी को भी बदलना होगा
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ट्रम्प की जल्दबाजी
पद संभालते ही आदेशों का शुरू हुआ सिलसिला कहां ले जाएगा अमेरिका को?
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जंजीरों में लौटे आज के गिरमिटिया
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही अवैध आप्रवासियों को उनके देश भेजने का जो सिलसिला शुरू हुआ है, उसकी गूंज भारत की घरेलू राजनीति और संसद को हिला रही