बांग्लादेश में तीन हफ्ते तक बां चले एक छात्र आंदोलन ने 2008 से देश पर राज करती आ रहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को पलट दिया। दक्षिण एशिया के किसी भी देश में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं हसीना ने उसके बाद इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। वे फौज के एक हेलिकॉप्टर से देश छोड़कर निकल गईं। माना जा रहा है कि बांग्लादेश की राजनीति में उनका सियासी करिअर अब खत्म हो चुका है। विभिन्न अनुमानों के मुताबिक इस घटना तक चली तीन हफ्ते की हिंसा में 600 के करीब लोगों की जान गई है। अब नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बन गई है। उनके सलाहकारों में वे छात्र नेता भी शामिल हैं, जिनके नेतृत्व में आंदोलन चला। बाद में छात्रों के दबाव में देश के मुख्य न्यायाधीश को भी इस्तीफा देना पड़ा, जिन पर शेख हसीना के समर्थन का आरोप था।
उसके पहले हसीना के इस्तीफे की पुष्टि फौज के प्रमुख वकारुज्जमां ने की थी। उन्होंने कहा था कि इस्तीफे के बाद एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी। उस समय तक उन्होंने इस संबंध में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात-ए-इस्लामी और जातीय पार्टी के नुमाइंदों के साथ बातचीत कर ली थी। घोषणा के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन का बयान आया कि अंतरिम सरकार जल्द से जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने का प्रयास करेगी, सभी राजनीतिक बंदियों को छोड़ दिया जाएगा, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया और कैद किए गए सरकार विरोधी लोग हैं और प्रदर्शनकारियों की हत्या के जिम्मेदार सभी लोगों को सजा दी जाएगी।
हसीना अपनी बहन रेहाना के साथ देश छोड़कर भाग गईं, इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने ढाका स्थित उनके आवास गण भवन पर धावा बोलकर काफी लूटपाट की। यह दृश्य दो साल पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति आवास में हुई लूट और अराजकता की याद दिलाता है। ढाका के सोशल मीडिया शोधकर्ता अपोन दास के मुताबिक एक तानाशाह का तख्ता पलट कर लोगों ने शुरुआती कामयाबी जरूर हासिल की है लेकिन इस उपलब्धि को टिकाए रखना अहम है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 02, 2024 sayısından alınmıştır.
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