आजकल जब हम कहीं घूमने की बात करते हैं तो इंगलिश के 2 शब्द बहुत ज्यादा सुनाई देते हैं 'सोलो ट्रैवलिंग. ' इस का सीधा सा मतलब है अकेले भ्रमण, बिना किसी संगीसाथी के. यह समय के साथसाथ युवाओं, खासकर महिलाओं में काफी पौपुलर हुआ है. हिंदी फिल्म कलाकार आशुतोष राणा ने इसी भ्रमण शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि ‘भ्रमण मात्र घूमना ही नहीं, ऐसे घूमना जो हमारे भ्रम का निवारण कर सके.' यह भ्रम उस जगह के बारे में भी हो सकता है और खुद को जानने की जिज्ञासा भी शांत करता है.
जब यह भ्रमण अकेले करना हो तो आप अपनी मरजी के मालिक होते हैं. एक महिला के तौर पर खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत करने में सोलो ट्रैवलिंग बहुत ज्यादा फायदेमंद रहती है, क्योंकि ऐसे सफर में जो मन आए वही करो, जिस होटल में रुकने का मन हो, वहीं रुको, जो खाने का मन हो, वही खाओ. मतलब बिंदास जियो.
किसी सोलो ट्रैवलर महिला को अपने सफर से बहुतकुछ सीखने को मिलता है, क्योंकि वह अपने सारे फैसले खुद करती है. अच्छा हो या बुरा फैसला चूंकि उस का होता है, इसलिए वह एक तरह से आत्मनिर्भर होने की तरफ अपने कदम बढ़ाती है. वह अनजान लोगों से मिलती है, बातचीत करती है तो उस की स्पीकिंग स्किल बढ़ जाती है.
सब से बड़ी बात यह कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सोलो ट्रैवलिंग के दौरान खुद से रूबरू होने का मौका मिलता है. आप के सोचने का दायरा बढ़ता है और अपनी कमजोरियों से लड़ने की हिम्मत आती है.
इस बारे में एक सोलो ट्रैवलर शांभवी ने बताया, "बात 2009 की है. मैं कोलकाता में कालेज में पढ़ती थी. तब मुझे अमृतसर के पास एक गांव जाना था. मेरे बाकी सारे दोस्त चले गए थे. बाद में मैं अकेली गई थी. वह अलग ही अनुभव था, क्योंकि वहां मुझे अपना भी ध्यान रखना था और अपने सामान पर नजर बनाए रखनी थी. ट्रेन से उतरने के बाद कैब कैसे लेनी है, पता पूछ कर मंजिल तक खुद ही पहुंचना था, यह सब मैं ने अकेले ही किया था.
Bu hikaye Sarita dergisinin August First 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Sarita dergisinin August First 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर
सुमा शिरूर भारतीय निशानेबाज हैं. वर्तमान में सुमा भारतीय जूनियर राइफल शूटिंग टीम की कोच हैं. सुमा शूटिंग में अब तक कई मैडल जीत चुकी हैं, वहीं उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
राज कपूर की 100वीं जयंती ऐसे ही कोई नहीं बन जाता शोमैन
राज कपूर नेहरूवादी सामाजिक सोच को ले कर चल रहे थे लेकिन उन की लगभग हर फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित थे. यही एक वजह भी है कि राज कपूर की फिल्मों में समाजवादी मिश्रण नजर आया और उन्होंने वर्ग संघर्षों से जनित आम लोगों के सामाजिक बदलावों को परदे पर उतारा.
संतान को ही क्यों दें संपत्ति
राजनीति हो या बिजनैस सही उत्तराधिकारी का चयन ही विरासत को आगे बढ़ाता है. यदि उत्तराधिकारी ढूंढ़ने में लगता है तो समय लगता परिणाम भविष्य में घातक भी साबित होते हैं.
दुर्घटना हो जाए तो
दुर्घटना के बाद सही कदम उठाना आप के और दूसरों के लिए मददगार हो सकता है लेकिन आमतौर पर लोगों को की जानकारी कम होती है कि ऐसी परिस्थिति में वे क्या करें. जानिए यदि रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो क्या करें.
मरने के बाद धार्मिक आडंबर के नाम पर लूट
मौत के बाद, बजाय शरीर के खाक होने के, व्यक्ति के साथ क्या होता है इस का कोई प्रमाण नहीं. बावजूद हिंदुओं में मृत्यपरांत धार्मिक कर्मकांड भरे पड़े हैं. इस के केंद्र में पंडे हैं जो दानदक्षिणा का धंधा चलाए रखना चाहते हैं.
अधूरा प्यार
अपने अधूरे को पाने की लालसा एक बार फिर मन में बलवती हो उठी थी. लेकिन रोज ने मुझे ऐसा आईना दिखाया कि उस में अपना चेहरा देख मुझे शर्म आ रही थी.
संकट कटे मिटे सब पीड़ा
गाय रोटी खाएगी तो ग्रह दोष मिटेगा, कुत्ते को खिलाओ तो दुश्मन भागेगा. मेहनत से दूर भागने वालों ने तांत्रिकों को भिखारी से करोड़पति बना दिया है, अरे वाह, यह कैसा खेल है, आप भी पढ़िए.
बीमार न कर दें पसंदीदा फूड
बच्चे तो बच्चे, अब बड़े भी जीभ के गुलाम बन गए हैं जो चटपटे खाने की तरफ दौड़ पड़ते हैं. लेकिन ये फूड्स आप को बीमार भी कर सकते हैं.
वोट ट ने बदली महिलाओं की तसवीर
रामचरितमानस में जिन औरतों को 'ताड़न की अधिकारी' बता कर वर्ण व्यवस्था का शिकार बनाया गया, वोट व्यवस्था में वही औरतें चुनावी जीत का आधार बन कर वर्ण व्यवस्था पर करारी चोट कर रही हैं.
घर खरीदने से पहले
अपना घर अपना ही होता है, भले छोटा ही हो. कई बार हम घर खरीदते समय ऐसी लापरवाहियां कर बैठते हैं जो बाद में दिक्कत देती हैं. आज के समय में घर खरीदते समय सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है.