
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मरजी से राज्य के मैडिकल कालेजों में प्रथम वर्ष से पढ़ाई अब हिंदी में होगी. इस बाबत छात्रों ने कोई आंदोलन नहीं किया था, कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया था.
इस फैसले से मैडिकल की पढ़ाई हिंदी में पढ़ने और पढ़ाने वाले दोनों भौचक हैं कि 'हे राम यह क्या हो गया.' भौचक आम लोग भी हैं और दवा बेचने वाले कैमिस्ट भी कि सीएम साहब तो कमाल पर कमाल किए जा रहे हैं क्योंकि डाक्टरों को भी शिवराज सिंह ने निर्देश दिए हैं कि वे दवाइयों वाला परचा यानी प्रिसक्रप्शन हिंदी में लिखें और शुरू में आरएक्स की जगह श्री हरि लिखें. कुछ डाक्टरों ने प्रयोग के तौर पर इस हिदायत पर अमल भी कर डाला तो उन के लिखे परचे सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए जिन का खासा मजाक हिंदी में मैडिकल की पढ़ाई की तरह उड़ रहा है.
सरकारी गंभीरता लाने के लिए बीती 16 अक्तूबर के सारे अखबारों में एक पेज के रंगीन विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्चे गए. इस विज्ञापन में लिखा गया था कि देश में पहली बार हिंदी की मैडिकल की पढ़ाई का शुभारंभ, प्रथम वर्ष की हिंदी पुस्तकों का विमोचन माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री भारत सरकार अमित शाह के मुख्य आतिथ्य में विज्ञापन के दाईं ओर मैडिकल की 3 हिंदी किताबें मुसकरा रही थीं जिन के नाम हिंदी टाइप में थे- 'मैडिकल बायो कैमिस्ट्री', 'एनाटौमी' और 'मैडिकल फिजियोलौजी.' किताबों की बाईं तरफ एक फोटो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुसकराता फोटो चस्पां था.
विमोचन भाषण में अमित शाह पूरे जोश से बोले कि आज का दिन शिक्षा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. 8 क्षेत्रीय भाषाओं में भी तकनीकी और मैडिकल की पढ़ाई की घोषणा भी अमित शाह ने की.
इधर इस दिन प्रदेशभर के सरकारी कालेजों को निर्देश थे कि भले ही इतवार हो लेकिन पूरे स्टाफ और छात्रों का आना कंपलसरी है. जैसे चुनाव के वक्त में मतदाताओं को कंबल, स्वैटर, कुकर, साड़ी और नकदी व शराब जैसे आइटमों का अर्पणतर्पण कर वोट लिए जाते हैं, समोसे, पोहे का लालच उस का मिनी एडिशन था.
Bu hikaye Sarita dergisinin December First 2022 sayısından alınmıştır.
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