देश में कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब अखबार के किसी पन्ने पर औरतों या मासूम बच्चियों से बलात्कार की कोई खबर न छपी हो. दुधमुंही बच्ची से ले कर नाबालिग लड़की या औरत को अकेला पाते ही मर्द की काम पिपासा जाग उठती है और वह वहशी दरिंदे का रूप धर कर उस पर टूट पड़ता है.
अकेली और असहाय स्त्री यदि पुरुष के सामने हो तो फिर धर्म, जाति, संप्रदाय, ऊंचनीच, छुआछूत यानी मनुवाद के सारे नियम गौण हो जाते हैं, दिखाई देता है तो बस स्त्री का जिस्म. फिर चाहे वह 3 साल की अबोध बच्ची हो, 30 साल की जवान औरत या 70 साल की बुजुर्ग महिला. हवस के अंधे पुरुष को उस की उम्र, उस की जात या चमड़ी के रंग से कोई मतलब नहीं होता. उस वक्त उस का सारा ज्ञान, सारा धर्म और सारे संस्कार एक छिद्र पर केंद्रित हो जाते हैं.
भारत में प्रतिदिन औसतन 86 बलात्कार के मामले और प्रति घंटे महिलाओं के खिलाफ 49 अपराध के मामले दर्ज किए जाते हैं. स्त्री के प्रति यह अपराध उन के घरों में, महल्लों में, स्कूलों में, कालेजों में, खेतों में, खलिहानों में, सड़कों पर, ट्रेनों में, होटलों में, रिसौर्ट में, औफिसों में कहीं भी हो रहे हैं. बलात्कार करने वाले उस के घर के पुरुष हैं, महल्ले के दबंग हैं, रिश्तेदार हैं, दोस्त हैं, टीचर हैं, साथ काम करने वाले हैं, बौस हैं, चपरासी हैं, पुलिसकर्मी हैं और अनेक अनजान लोग हैं.
बलात्कार की घटनाओं के बाद अनेक स्त्रियां गर्भवती हो जाती हैं. नाबालिग लड़कियों को तो कई बार मालूम ही नहीं पड़ता कि वे गर्भवती हो गई हैं. कई बच्चियां डर के मारे या धमकाए जाने के कारण किसी को बताती ही नहीं हैं कि उन का रेप हुआ या हो रहा है. उन के मांबाप को इस का पता तब चलता जब गर्भ के कारण उन का पेट निकलने लगता है.
Bu hikaye Sarita dergisinin May Second 2024 sayısından alınmıştır.
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"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
एमआरपी का भ्रमजाल
एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.