मध्यस्थों को मिलेगी राहत!
Business Standard - Hindi|December 20, 2024
शनिवार को होने जा रही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 55वीं बैठक में ब्रोकरों, एजेंटों और ऑनलाइन बोली पोर्टलों जैसे कुछ मध्यस्थों को राहत मिल सकती है, जिनकी सेवाएं प्राप्त करने वाले भारत के बाहर होते हैं। परिषद ऐसे मध्यस्थों को निर्यातक के रूप में वर्गीकृत कर शूल्य दर में रख सकती है।
मोनिका यादव
मध्यस्थों को मिलेगी राहत!

इस समय सीजीएसटी ऐक्ट के तहत मध्यस्थ सेवाओं पर 18 प्रतिशत कर लगता है। सूत्रों के मुताबिक जीएसटी परिषद की फिटमेंट समिति ने आईजीएसटी ऐक्ट की धारा 13 (8) (बी) हटाने के लिए संशोधन का प्रस्ताव किया है।

सूत्रों ने कहा, 'अगर इसे लागू किया जाता है तो इससे इन सेवाओं पर लगने वाला 18 प्रतिशत जीएसटी का मौजूदा बोझ खत्म हो जाएगा। ऐसे में भारत के मध्यस्थों को अपने विदेशी प्रतिस्पर्धियों के साथ एक समान स्तर पर काम करने का मौका मिल सकेगा।'

महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रस्ताव इन मध्यस्थ सेवा प्रदाताओं को जारी किए गए 3357 करोड़ रुपये की कर देयता को लेकर जारी कारण बताओ नोटिस (एससीएन) के दौरान आया है, जिसे संशोधन लागू होने पर हटाया जा सकता है।

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