भारत का विभाजन... एक ऐसा घाव जो आज तक नहीं भरा है... उसे कभी भरने का प्रयास भी नहीं किया गया । उलटा इसे छिपाया और दबाया जाता रहा । लाखों लोगों के विस्थापन, हत्याओं और बलात्कारों की कहानियां गायब कर दी गईं।
विश्व में मानवीय त्रासदी की कई घटनाएं हुई हैं, लेकिन उन देशों ने अपने इतिहास को हमेशा याद रखा, उन टीस देती यादों को संग्रहालयों में सहेज कर रखा ताकि आने वाली पीढ़ियां उनसे सबक लें।
दूसरी ओर, हमारा देश है जहां इतिहास के इस सबसे भयावह घटनाक्रम को 'गंगा-जमुनी तहजीब' और 'भाईचारे' की सुहानी बातों में दबाने और भुलाने के प्रयास किए गए। कभी इस बात पर चर्चा नहीं हुई कि सहस्त्रों वर्ष पुरानी भारतीय सभ्यता की धरती के टुकड़े क्यों हुए? उस धरती के जहां पर कभी हमारे ऋषियों ने वेदों की ऋचाएं लिखी थीं, वहां पर सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के चिन्ह तक क्यों मिटा दिए गए?
केंद्र की भाजपानीत सरकार ने बंटवारे के दिन अर्थात् 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाना आरंभ किया है। यह एक अवसर है कि हम मानवता और सभ्यता पर हुए इस अत्याचार को याद करें। इसके दोषियों की पहचान करें, आने वाली पीढ़ियों को उनके बारे में बताएं ताकि भारतीय इतिहास का वह भयावह कालखंड हमें दोबारा कभी देखना न पड़े।
13 मई, 1940 को ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के भाषण की एक महत्वपूर्ण उक्ति थी- 'ब्लड, टॉइल, टियर्स एंड स्वेट'। अर्थात् रक्त, कड़ा परिश्रम, अश्रु और स्वेद।
चर्चिल की उस बात का संदर्भ भले ही भिन्न रहा हो, किंतु सात वर्ष बाद यह सब लागू हुआ... भारत की धरती पर, पाकिस्तान के रूप में।
- भारत के विभाजन की पृष्ठभूमि किसने तैयार की?
- भारत के टुकड़े करके पाकिस्तान पैदा करने के लिए कौन उत्तरदायी था?
-मजहब के नाम पर एक ऐसा देश क्यों बनाया गया, जो जिहाद और आतंकवाद से ऊपर कभी उठ ही नहीं पाया, जिसका अस्तित्व ही भारत और भारतवासियों से घृणा पर आधारित है?
Bu hikaye Panchjanya dergisinin August 21, 2022 sayısından alınmıştır.
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
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आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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