राजनीति अन्य चीजों के अलावा लोक लुभावन फॉर्मूलों से भी चलती है और 'गरीब-परवर' की छवि जादू का काम करती है। 1972 के चुनाव में इंदिरा गांधी के 'गरीबी हटाओ' नारे ने जादू किया था। 1985 के आंध्र विधानसभा चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के एनटी रामाराव ने दो रुपए किलो चावल देने का वादा किया। उन्हें जबर्दस्त सफलता मिली। भले ही चुनाव बाद वहां 8 रुपए किलो चावल बिका, पर जादू तो चला। तमिलनाडु में जयललिता ने जादू चलाया। उन्होंने 'अम्मा नमक', 'अम्मा सीमेंट', 'अम्मा ग्राइंडर-मिक्सी, 'अम्मा टेबल फैन' व किसानों के लिए ‘अम्मा बीज' जैसी योजनाएं चलाईं और सस्ते टिकट पर सिनेमा देखने का इंतजाम भी किया था। मुफ्त में कुछ मिले, तो मन डोलता ही है। क्या यह सांविधानिक और नैतिक दृष्टि से ठीक है? इससे मुफ्तखोरी नहीं बढ़ेगी? क्या इस पैसे से कोई और बेहतर काम नहीं हो सकता? ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब देने का समय आ रहा है। देश की राजनीति में अचानक 'रेवड़ी-संस्कृति' के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई
इस पर राजनीतिक बहस के समांतर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई भी चल रही है। न्यायालय ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए सरकार तथा चुनाव आयोग से इसे रोकने के लिए जरूरी समाधान खोजने को कहा है। इस मामले की सुनवाई 3 अगस्त को हुई, जिसमें अदालत ने एक विशेषज्ञ समिति बनाने का सुझाव दिया। अदालत मानती है कि इस मसले में नीति आयोग, वित्त आयोग, विधि आयोग, रिजर्व बैंक, सत्तारूढ़ तथा विरोधी दलों के नेताओं से भी सलाह ली जानी चाहिए। उसने याचिका दायर करने वाले के अलावा सरकार और चुनाव आयोग से भी सुझाव मांगे हैं।
Bu hikaye Panchjanya dergisinin August 28, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Panchjanya dergisinin August 28, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई