थायरॉयड मनुष्य की गर्दन के आधार पर एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जिसका वजन लगभग 20 ग्राम होता है। थायरॉयड ग्रंथि को हमारे जटिल, एंडोक्राइन सिस्टम की मास्टर ग्रंथि के रूप में भी जाना जाता है। यह ग्रंथि उपापचय (मेटाबॉलिज्म) और ऊर्जा को नियंत्रित करती है।
भारत में हृदय रोग और मधुमेह के बाद सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों में पहला नाम थायरॉयड का आता है। यह हमारे गले में उपस्थित होता है जो थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करता है। इस हार्मोन से हमारे शरीर की कई गतिविधियां नियंत्रित होती हैं। जैसे- आप कितनी तेजी से कैलोरी बर्न करते हैं या आपके दिल की धड़कन कितनी तेज है। थायरॉयड रोग के कारण हमारे शरीर में या तो बहुत अधिक या बहुत कम हार्मोन बनाने लगते हैं।
आपका थायरॉयड कितना ज्यादा या कितना कम हार्मोन बनाता है, इसके कारण आप अक्सर बेचैन या थका हुआ महसूस कर सकते हैं, या आपका वजन कम हो सकता है या बढ़ सकता है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायरॉयड रोग का खतरा अधिक रहता है, खासकर गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के बाद।
कारण और प्रभाव
थायरॉयड ग्रंथि तीन तरह के हार्मोन बनाती है - टी-3, टी-4 और कैल्सीटोनिन। टी-3 और टी-4 थायरोक्सिन, ये दोनों मिलकर कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के चयापचय की देखभाल करते हैं। इनसे बनने वाले ट्राई आयडो थायरोनिन हॉर्मोन शरीर की तकरीबन सभी कोशिकाओं की रासायनिक प्रतिक्रिया को देखते हैं, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों के उपापचय की गति को बढ़ावा मिलता है । ये शरीर में गरमाहट का भी ध्यान रखते हैं। कैल्सीटोनिन का कार्य यह है कि अगर रक्त में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाए तो वह ऑस्टियोब्लास्ट को उकसाएगा। वह अतिरिक्त कैल्शियम को रक्त से निकालकर हड्डियों में डालता है। शरीर में ऑक्सीजन सही मात्रा में हो और कार्बन डाइऑक्साइड सही परिमाण से बाहर निकले, इसकी देखभाल भी थायरॉयड ग्रंथि ही करती है। थायरॉयड ग्रंथि से आयोडीन निकलता है, जो घाव के जल्दी ठीक होने में मदद करता है। इसीलिए पुराने घाव को ठीक करने के लिए न्यूरोथेरैपी में 4-थायरॉयड (उपचार का नाम) देते हैं।
Bu hikaye Panchjanya dergisinin August 28, 2022 sayısından alınmıştır.
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