देश का युवा वर्ग 12वीं के बाद भविष्य के स्वर्णिम सपने संजोये उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में दाखिला लेता है। इस समय वे जीवन के उच्चतम उर्जा स्तर पर होते हैं। उन्हें सही परामर्श और उचित मार्गदर्शन से ज्ञानार्जन के प्रति उनकी रुचि बढ़ाई जा सकती है। साथ ही, समग्र शिक्षा उपलब्ध करा कर उनका संपूर्ण व्यक्तित्व विकास सुनिश्चित किया जा सकता है । यह ध्यान रखना होगा कि जब ये रोजगार के योग्य होंगे, तब उन्हें ऐसे कार्य-स्थलों का सामना करना होगा, जहां निष्पादित होने वाले कार्यों की न तो अभी कल्पना की जा सकती है और न ही उनके संपादन हेतु जिन कौशलों एवं तकनीकियों की आवश्यकता होगी, उनके बारे में सोचा जा सकता है। इसके इतर आज के युवा शिक्षा - 4.0 के युग में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जो कि पूरी तरह परिणाम आधारित है।
शिक्षा 4.0 का प्रमुख उद्देश्य औद्योगिक क्रांति 4.0 को बढ़ावा देने के लिए कौशल एवं वैश्विक क्षमतावान युवा तैयार करना भी है। इन परिस्थितियों में महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के युवाओं को शिक्षित करने की दशा एवं दिशा क्या हो, यह चिंतन का विषय है। बहुत हद तक इसका जवाब राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में निहित है। शिक्षा नीति की मुख्य चिंता वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलावों के सापेक्ष 21वीं सदी के अधिगमकर्ताओं में खास कौशलों एवं अभ्यासों का निर्माण करना है। यह शिक्षा को ऐसी सामाजिकसांस्कृतिक परियोजना के रूप में प्रस्तावित करती है, जिसमें अधिगमकर्ता देशज ज्ञान से जुड़े होने के साथ बोध की आधुनिक आलोचनात्मक तार्किकता से भी युक्त हो। इसमें विषय-वस्तु सिखाने की बजाय सीखने की कला एवं बुनियादी कौशलों को प्राथमिकता दी गई है। सीखने की यही प्रक्रिया अधिगमकर्ता को उन संभावनाओं से युक्त करेगी, जहां वह उद्यमशीलता, रोजगारकर्ता एवं कौशल के स्वायत्त व आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी का निर्माण कर सकें।
बदलावों और चुनौतियों का दौर
Bu hikaye Panchjanya dergisinin September 11, 2022 sayısından alınmıştır.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई