न्यायाधीश चुनने में बीतता है न्यायाधीशों का आधा समय
Panchjanya|November 06, 2022
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने पाञ्चजन्य के साबरमती संवाद में न्यायपालिका के लिए सकारात्मक सुझाव के साथ बदलाव के बिंदुओं को बड़ी बारीकी से रेखांकित किया। उन्होंने न्यायिक एक्टिविज्म, आंतरिक स्वनियम तंत्र की आवश्यकता, कोलेजियम सिस्टम, अंकल जज सिंड्रोम, न्यायपालिका की आलोचना, औपनिवेशिक बोझ, भाषा के दबाव जैसे बिंदुओं पर खुलकर बात की। प्रस्तुत है केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत
हितेश शंकर
न्यायाधीश चुनने में बीतता है न्यायाधीशों का आधा समय

आज की राजनीति में भागदौड़ बहुत हो गई है। क्या बदल गया है देश की राजनीति में। पहले मंत्री को इतनी मेहनत करनी पड़ती थी क्या?

सबने बदलती हुए राजनीति को करीब से देखा है। एक जमाने में चुने हुए या पद पर बैठे नेता दिशा दे देते थे, तो काम अपने-आप चलता था। आज राजनीति में नेता जो कुछ भी कहे, उस पर अमल के लिए उसे पीछे लगना पड़ता है। सोशल मीडिया के आने से कुछ चीजें आसान हुई हैं तो कुछ चुनौतियां भी बढ़ी हैं। आपके सवाल से सीधी जुड़ी एक बात कहना चाहता हूं- कांग्रेस के जमाने में मैं सांसद था। कांग्रेस के मंत्री काम भी करते थे और परिवार के साथ छुट्टियां भी मनाते थे। लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार में इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। दूसरा, देश का कार्य करने के लिए इतना काम है कि हम जितना भी समय दें, वो काफी नहीं होता। जिंदगी में सीमित समय है। इसलिए आज के समय में जनसेवा कोई आसान काम नहीं रह गया है। मोदी जी के नेतृत्व में तो आपको हर पल लोगों के बीच में ही रहना है। यही समय की मांग भी है। 

पहले कहा जाता था कि राजनीति पके- पकाये लोगों का क्षेत्र है। आपको एक युवा के तौर पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में लिया गया। अलग-अलग भूमिकाओं में परखा भी गया और आगे भी बढ़ाया गया। इसे आप कैसे देखते हैं? क्या पहले की राजनीति में यह संभव था? 

Bu hikaye Panchjanya dergisinin November 06, 2022 sayısından alınmıştır.

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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
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रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे

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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !

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कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
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कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की

कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे

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अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है

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March 12, 2023
होली का रंग तो बनारस में जमता था
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होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश

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March 12, 2023
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है

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नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

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March 12, 2023
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नाकाम किए मिशनरी
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