कर्णावती में पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित साबरमती संवाद में सहकारिता के बड़े नाम अमूल के एमडी आर. एस सोढ़ी ने सहकारिता को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण विकास मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि सहकारिता अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख एस (स्माल फार्मर, स्माल ट्रेडर और स्माल कंज्यूमर) को आपस में जोड़ती है और आय की असमानता को कम करती है और साझा स्वामित्व देती है। सहकारिता का अर्थ है स्रोत, वितरण और उपभोग से जुड़े छोटे-छोटे लोगों को आपस में जोड़ कर सबकी उन्नति। सबको काम भी मिले, शोषण भी न हो, एकाधिकार भी न आए, गुणवत्ता भी बनी रहे। सत्र का संचालन पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर ने किया।
चालीस वर्षों से अमूल से जुड़े श्री सोढ़ी ने बताया कि 40 से वर्ष पहले अमूल का कारोबार 112 करोड़ रुपये था जो पिछले वर्ष 61 हजार करोड़ रुपये रहा। बीते 20 वर्षों में जो विकास दर रही है, यदि उससे 20-30 प्रतिशत कम मान कर चलें तो भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 में अमूल का कारोबार 18 लाख करोड़ रुपये होगा। यह है सहकार की शक्ति। आज डिजिटल, ऑटोमेशन और अन्य प्रौद्योगिकी उपलब्ध है। इनका लाभ उठाते हुए भारत के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में छोटे-छोटे कारीगरों को जोड़कर सहकारी संस्था बनाकर विकसित भारत का सपना पूरा किया जा सकता है।
सहकारिता एक संस्कार
Bu hikaye Panchjanya dergisinin November 06, 2022 sayısından alınmıştır.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
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होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
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जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई