दिलकुशार एक पारंपरिक राजस्थानी पकवान है। अक्सर यह लाजवाब पकवान दीपावली के अवसर पर घरों में बनाया जाता है। ज्यादातर राजस्थानी घरों में रात के खाने के बाद इस स्वादिष्ट पकवान का एक टुकड़ा जरूर खाया जाता है। इस पकवान का आप 2-3 महीने तक भंडारण कर सकते हैं। यह आपको दिन भर के लिए ऊर्जा प्रदान करते हुए आपकी मिठास की लालसा को तृप्त करेगा।
प्रस्तुति : जाह्नवी पारीक
सामग्री
1 कप बेसन, 250 ग्राम चीनी, 1/2 कप घी, 100 ग्राम खोया, 1 छोटा चम्मच हरी इलायची, 2 बड़े चम्मच दूध, 1 बड़ा चम्मच बादाम, 1 बड़ा चम्मच काजू
बनाने की विधि
बेसन को घी में भून लें। जब यह ब्रेड क्रम्ब्स की तरह बन जाए तो यह भुन गया है। अब, हमें बेसन से एक चिकना पेस्ट बनाने की जरूरत है, इसलिए और घी डालें और चिकना होने तक हिलाएं। इसमें कद्दूकस किया खोया और इलायची डालकर एक तरफ रख दें।
अब पानी उबालें और उसमें चीनी मिलाएं। कुछ मिनटों के बाद, 2 चम्मच दूध डालें और सतह पर आने वाली अशुद्धियों को हटा दें। चाशनी को तब तक उबालें जब तक चाशनी 1 तार की स्थिरता तक न पहुंच जाए, अब इसे ठंडा न होने दें।
गर्म चाशनी को बेसन के मिश्रण में डालें और अच्छी तरह मिलाएं। एक थाली को ग्रीस करके इस मिश्रण को थाली पर फैला दें। जब मिश्रण थोड़ा ठंडा हो जाए तो मनचाहे आकार में काट लें। दिलकुशार परोसने के लिए तैयार है!
सावन का मीठा पकवान
घेवर एक राजस्थानी पकवान है जो सावन के महीने, तीज और रक्षाबंधन में बनता है। ये छप्पन भोग के अन्तर्गत प्रसिद्ध व्यंजन है। यह मैदे से बना, मधुमक्खी के छत्ते जैसा, कुरकुरा और मीठा पकवान है।
प्रस्तुति : अर्चना शर्मा
सामग्री
3 कप आटा, 1 (ठोस ) ग्राम घी, 3-4 बर्फ के टुकड़े, 4 कप पानी, 1/2 कप दूध, 1/4 टी चम्मच पीला खाद्य रंग, घी सिरप : 1 कप चीनी, 1 कप पानी टॉपिंग : 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर, 1 चम्मच बादाम और पिस्ता (कटे हुए), एक बड़े चम्मच दूध में आधा छोटा चम्मच केसर (केसर फॉइल पेपर में रगड़ा हुआ) दूध और केसर
बनाने की विधि
Bu hikaye Panchjanya dergisinin October 23, 2022 sayısından alınmıştır.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
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होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
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