वैश्विक राजनीति में बहुत सी बातें हैं, जिन पर पर्दा पड़ा हुआ है। बहुत से ऐसे तथ्य हैं, जिन्हें लेकर भ्रम हैं कि वे थे भी या नहीं । न्यस्त स्वार्थ कुछ तथ्यों को गढ़ते हैं और फिर झूठ को सच बनाने के लिए उन पर नए झूठ की परतें चढ़ाते जाते हैं। ऐसा ही मामला है मीडिया हाउस द वायर और सोशल मीडिया कंपनी मेटा के बीच का विवाद। भाजपा मीडिया सेल के प्रमुख अमित मालवीय की पुलिस रिपोर्ट से भारतीय राजनीति से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का पर्दाफाश हो सकता है, बशर्ते जांच में सही तथ्य सामने आएं।
इसमें दो राय नहीं कि वायर का निशाना भारतीय जनता पार्टी की सरकार और उसके नेता नरेंद्र मोदी रहते हैं। 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद 2015 में यह मीडिया हाउस अस्तित्व में आया था। उसके बाद यह संस्था स्वयं किसी न किसी वजह से खबरों में रहती है।
शनिवार 30 अक्तूबर को भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने वायर के संस्थापक संपादकों-सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एमके वेणु, डिप्टी एडिटर और एक्जीक्यूटिव न्यूज प्रोड्यूसर जाह्नवी सेन, फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म और अन्य अज्ञात लोगों के नाम रिपोर्ट दर्ज की। पुलिस ने धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े, ठगी, मानहानि, आपराधिक साजिश और आपराधिक गतिविधि के केस दर्ज किए हैं।
वायर बनाम मेटा
हालांकि यह मामला वायर और सोशल मीडिया से जुड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी मेटा से जुड़े विवाद के कारण उछला है, पर वस्तुतः यह वायर के केंद्र सरकार के साथ टकराव की परिणति है। अमित मालवीय चूंकि भाजपा मीडिया सेल के प्रमुख हैं, इसलिए पहला निशाना वे बने हैं। वायर की कवरेज का मूल स्वर यह है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप की मातृ संस्था मेटा और अमित मालवीय की सांठगांठ है।
Bu hikaye Panchjanya dergisinin November 13, 2022 sayısından alınmıştır.
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