'आतंकवादी भाई'।
उस समय के केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा
'आप किसे भाई कह रहे हैं? जो हत्याएं करते हैं, बहन-बेटियों से बलात्कार करते हैं?" - प्रो. विजयकुमार मल्होत्रा ने लोकसभा में पूछा। शब्द कुछ भिन्न रहे हो सकते हैं।
प्रकारांतर से यह प्रश्न अभी भी बरकरार है, और उत्तर के नाम पर चुप्पी है।
इस बार यह प्रश्न एक डिजिटल दुकानदार से है, जो कुछ लोगों को चंदा - पैसा सुविधा मुहैया कराता है।
वह किन लोगों को चंदा - पैसा - सुविधा मुहैया कराता है? जो कन्वर्जन कराते हैं, जो अपने शिकार वर्गों पर बेहद असभ्य अत्याचार करते हैं, जो छोटी बच्चियों को यौन क्रीड़ा दास की तरह रखते हैं।
भारत केन्द्रित ईसाई मिशनरीज की वेबसाइटें देखें। अधिकांश कहती हैं- 'ईसा मसीह को उन असंख्य भूखे लोगों के पास लाने की आवश्यकता है, जिन्होंने कभी ईसा मसीह के बारे में ही नहीं सुना। उन्हें पता ही नहीं है कि ईसा मसीह उन्हें शैतान के चंगुल से बचा सकते हैं।'
माने भारत की देसी संस्कृति तो शैतान के चंगुल में है, शैतानी है, और मिशनरीज उन्हें बचाने के लिए यहां आई हुई हैं। यह अलग बात है कि यही मिशनरियां यहां की संस्कृति के प्रतीकों को ही तोड़मरोड़ कर इस्तेमाल कर रही हैं।
दूसरा अर्थ यह हुआ कि 'हमारे उद्धारकर्ता यीश' सबसे पहले संस्कृति के विनाश पर पूरी ताकत केन्द्रित कर देते हैं। इसके लिए स्थानीय समुदायों की सामाजिक समस्याओं को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, ताकि 'बचाव' को सही ठहराया जा सके। उदाहरण के लिए, हमें 'बचाने' के लिए ईसाई मिशनरीज का एक प्रमुख तर्क है- अनुसूचित जाति-जनजाति की दुर्दशा कोई नहीं कि कुछ मामले खोजे जा सकते हैं।
Bu hikaye Panchjanya dergisinin November 27, 2022 sayısından alınmıştır.
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