सच-झूठ का पता नहीं। यह चीन है। जो होता है, वह सरकारी होता है। और चीन सत्य-असत्य में विश्वास नहीं करता, बल्कि अपनी इच्छानुसार सत्य और असत्य के निर्माण में विश्वास करता है। फिर भी, अगर वीडियो में नजर आने वाले समाचारों को सत्य मान लिया जाए, तो ग्वांगझू के चीनी विनिर्माण क्षेत्र में लोग मंगलवार रात पूरी तरह बख्तरबंद दंगा पुलिस से भिड़ गए। यह घटना ऑनलाइन वीडियो दिखाई गई है, लिहाजा विश्वसनीय है। यह विरोध प्रदर्शन बेहद कठोर कोविड- 19 लॉकडाउन को लेकर लगभग तीन सप्ताह से चल रहा है।
उधर शंघाई, बीजिंग और अन्य जगहों से विरोध प्रदर्शनों के बाद झड़पों के समाचार हैं। और ग्वांगझू के आसपास के दक्षिणी क्षेत्र में प्रतिबंधों को थोड़ा ढीला करने की खबरें चीनी सरकारी मीडिया पर हैं। तमाम लौह आवरण के बावजूद दुनिया इसे 1989 के तिएनआनमेन विरोध के बाद चीन में आम नागरिकों के विद्रोह की अब तक की सबसे बड़ी लहर मान रही है।
ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दंगा पुलिस पर लोग कुछ फेंक कर मारते नजर आ रहे हैं, और बाद में पुलिस आम लोगों को कतार बनाकर हथकड़ी लगा कर किसी अज्ञात स्थान पर ले जाती दिखाई गई है। यह वीडियो ग्वांगझू के हाइझू जिले का है। यहां दो हफ्ते पहले भी कोविड लॉकडाउन को लेकर झड़पें हुई थीं।
Bu hikaye Panchjanya dergisinin December 11, 2022 sayısından alınmıştır.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
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सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
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नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई