बिहार और झारखंड में मुसलमान छल-बल से बड़े पैमाने पर हिंदुओं की जमीन कब्जा रहे हैं। खासकर, झारखंड में हिंदू समुदाय की लड़कियां जिहादियों के निशाने पर हैं। बिहार के सीमांत जिलों और झारखंड के संथाल परगना में अप्रत्याशित रूप से जनसांख्यिकीय बदलाव आया है। महिलाओं के खिलाफ अपराध भी बढ़े हैं, फिर भी राज्य सरकारें तुष्टीकरण में जुटी हुई हैं।
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से सटे होने के कारण झारखंड में घुसपैठ हो रही है। संथाल परगना के दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा और जामताड़ा जिले में मुसलमानों की आबादी अप्रत्याशित रूप से तो बढ़ी ही है, इन इलाकों में महिलाओं के खिलाफ अपराध भी उसी अनुपात में बढ़े हैं। विधानसभा से लेकर संसद तक में यह मामला उठाया जा चुका है, लेकिन राज्य सरकार ने जिहादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में जनजातीय आबादी घटती जा रही है। राजमहल के भाजपा विधायक अनंत ओझा के अनुसार, बांग्लादेशी घुसपैठिए राज्य की सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं। ये जनजातीय लड़कियों से शादी कर उनकी जमीन भी हड़प रहे हैं। इस कारण राजमहल के आसपास के क्षेत्रों में जनसांख्यिक बदलाव आया है।
Bu hikaye Panchjanya dergisinin January 01, 2023 sayısından alınmıştır.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
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फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
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भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
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भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई